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भारत में पहली बार आएगा पॉल्यूशन पर स्टैंडर्ड, हवा में प्रदूषण स्तर की मिलेगी सही जानकारी

सुमन अग्रवाल, नई दिल्ली: प्रदूषण शब्द सुनते ही दिल्लीवासियों को डर लगने लगा है. आए दिन प्रदूषण को लेकर कोई ना कोई रिपोर्ट आती रहती है. प्रदूषण रोकने के लिए कई तरह के कदम भी उठाए जाते हैं, ये कदम सही दिशा में उठ भी रहे हैं या नहीं, ये आंकड़े जो प्रदूषण स्तर की जांच करते हैं ये कितने सही हैं यह एक बहुत बड़ा सवाल है. लेकिन अब में प्रदूषण को खत्म करने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. जानकारी के मुताबिक, दो महीने के भीतर पॉल्यूशन लेवल की सही जांच की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

अब तक हवा में कितना प्रदूषण है इसका बस अंदाजा ही लगाया जा रहा था लेकिन अब हवा में प्रदूषित कणों की जांच होगी और एक सटिक आंकड़ा तैयार होगा. पर्यावरण मंत्रालय (सेंट्ल पॉल्यूशन बोर्ड) ने पॉल्यूशन पर स्टैंडर्ड बनाने की जिम्मेदारी एनपीएल को सौंप दी है. अगले दो महीने में दिल्ली में प्रदूषण स्तर की जांच करने वाली सभी मशीनों को एनपीएल से सर्टिफिकेशन लेना होगा. एनपीएल प्रदूषण के रेंज की जांच करेगा. इससे हवा में उपलब्ध हानिकारक कणों की मात्रा की सही जानकारी मिल पाएगी. इसे विंड टनेल कहते हैं.

विंड टनेल हवा में उपलब्ध कणों की जांच करके प्रदूषण स्तर की सटीक जानकारी देगा. आपको बता दें कि, अब तक सीपीसीबी पॉल्यूशन मेजरमेंट की मशीनों से प्रदूषण की मात्रा की जांच करके आंकड़े तो बताया था. लेकिन ये आंकड़े किस हद तक सही हैं इसकी पुष्टि कहीं से नहीं होती थी. ये मशीनें विदेश से आती हैं और वहीं के तापमान और मौसम के हिसाब से बनी होती हैं, ऐसे में भारत में प्रदूषण स्तर और तापमान से उनका कोई मेल नहीं होता था. इसलिए अब पर्यावरण मंत्रालय ने एनपीएल को यह जिम्मेदारी सौंपी है.


प्रोजेक्ट की लागत 50 करोड़ रुपए है. जानकारी के मुताबिक, दो महीने के भीतर सीपीसीबी पॉल्यूशन मेजरमेंट की मशीनों की सर्टिफिकेशन का काम शुरू हो जाएगा. पिछले दिनों सरकार ने इसपर मुहर लगा दी है. एनपीएल के सीनियर साइनटिस्ट वी एन ओझा ने बताया कि पूरे विश्व में ये पांचवा विंड टनेल होगा, ये एक फेसिलिटी है जिससे हवा में पॉल्यूशन लेवल की जांच होती है. हमने यूएस के मॉडल को अडॉप्ट किया है. यह हवा में पॉल्यूशन लेवल की सही जानकारी देगा. इससे इसे रोकने के लिए सही दिशा में कदम उठाए जा सकेंगे.
सौजन्य ; ज़ी न्युज

फाइल फोटो

 

05 July, 2018

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