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चीन को सबक सिखाएगी दुनिया, 'भविष्य की राह' दिखा रहा भारत

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपने शिकंजे में कसा हुआ है. भारत के लिए भी ये चुनौती भरा वक्त है लेकिन इस चुनौती में एक अवसर भी छिपा हुआ है. वो अवसर है चीन से वैश्विक मैन्युअफैक्चआरिंग हब का दर्जा वापस लेने का . जानकार मानते हैं कि जब कोरोना महामारी नियंत्रण में आ जाएगी तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई अवसर छोड़कर जाएगी . क्योंकि जो अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां इस वक्त चीन में हैं, उनके बीच चीन से निकलने की सोच, मजबूत होती जा रही है . जापान, अमेरिका और दक्षिण कोरिया जैसे कई देश, जो चीन पर हद से ज्यादा निर्भर हैं, वो चीन से बाहर निकलना चाहते हैं और भारत की तरफ रुख कर रहे हैं .

1000 कंपनियां भारत आने की बना रहीं योजना
रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में इस वक्त काम कर रहीं करीब एक हजार अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां अब भारत को अपना नया ठिकाना बनाने की योजना बना रही हैं. करीब तीन सौ कंपनियों ने तो भारत में अपनी फैक्ट्री लगाने की पूरी तैयारी भी कर ली है और इसे लेकर भारत सरकार से बातचीत भी काफी आगे बढ़ चुकी है. जिनमें प्रमुख तौर से मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉ निक्सत, मेडिकल उपकरण, टेक्सुटाइल्सऔ और सिंथेटिक फैब्रिक्स जैसे सेक्ट्रों वाली कंपनियां शामिल हैं.

चीन से अपना व्यापार समेटकर भारत में यूनिट लगाने की इच्छुक इन कंपनियों की सूची में कई बड़े नाम शामिल हैं जैसे कि जानी-मानी आई-फोन निर्माता APPLE की सहयोगी कंपनी विस्ट्रॉन कॉरपोरेशन. इसी तरह iPhones को असेंबल करने वाली ताइवान की कंपनी पेगाट्रोन भी इच्छुेक दिखती है. इनमें दक्षिण कोरिया की दो लौह एवं इस्पाीत कंपनियां-हुंडई स्टीकल और पॉस्को, अमेरिका की इलेक्ट्रॉ निक्सप और टेक्नोइलॉजी कंपनी टेलिडाइन और वहीं की मेडिकल उपकरण और फार्मास्यु्टिकल जॉनसन एंड जॉनसन के नाम भी शामिल हैं.

चीन से भारत आने में सबसे ज्यादा उत्सुकता दक्षिण कोरिया की कंपनियां दिखा रही हैं जिनकी तरफ से काफी ज्यादा आवेदन आ रहे हैं . जापान ने तो अपनी कंपनियों को चीन से बाहर अन्य देशों में यूनिटें और फैक्ट्रियां लगाने के लिए दो बिलियन डॉलर यानी करीब 15 हजार करोड़ रुपये की मदद का ऐलान भी कर दिया है .

भारत आने की मुख्यर वजह
आखिर भारत में ऐसी क्या खास बात है जो अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है ? इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि..
भारत सरकार ने कंपनियों की आय पर लगाए जाने वाले कॉरपोरेट टैक्स की दर को सितंबर 2019 में 30 प्रतिशत से घटाकर करीब 25 प्रतिशत कर दिया था. इसके साथ ही नई फैक्ट्रियां लगाने वालों के लिए भी कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाकर 15 प्रतिशत तक कर दी गई थी, जो दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे कम है.

जाहिर तौर पर, ये बात अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को भारत की तरफ आकर्षित कर रही है . लेकिन ये कंपनियां, भारत के अलावा वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे देशों को भी विकल्प के तौर पर देख रही हैं . जिसे देखते हुए भारत सरकार लॉकडाउन खत्म होने के बाद मेक इन इंडिया पॉलिसी में तेजी लाने पर विचार कर रही है.

उद्योग सेक्टर से जुड़े संगठनों को अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की बड़ी कंपनियों से संपर्क करने के लिए कहा गया है, जो चीन से बाहर, अन्य देशों में मैन्युोफैक्चकरिंग यूनिट्स लगाने के बारे में सोच रही हैं . ऐसी करीब सौ कंपनियों से बातचीत शुरू भी हो चुकी है . जानकार मानते हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भारत, दुनिया के नए मैन्युकफैक्च रिंग हब के तौर पर उभरेगा और ये चीन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा.

 

 

सौजन्य ज़ी न्युज

 

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