भोपाल, जबलपुर ; प्रदेश मै कोरोना वायरस महामारी के सम्पुर्ण प्रदेश के लाकडाउन मै शराब की दुकाने प्रदेश अनिश्चित काल के बन्द कर दी गई थी : जिससे शराब के व्यापारीयो का बहुत ही घाटा हुआ है । अपने व्यवसायो ने कम समय को बढाने और राशि कम करने और शराब के व्यवसाय की एसोसियन ने हायकोर्ट मै यचिका दायर कर एसोसियन ने ठेकों की निर्धारित राशि (बिड) कम करने के लिए म.प्र. हाईकोर्ट मै याचिका लगाई गई थी । आज मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एके मित्तल व न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने शराब ठेकेदारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब शराब दुकानों के खुलने का निर्धारित समय कम कर दिया गया है तो इनके ठेकों की पूर्व निर्धारित रकम क्यों नहीं घटाई जा रही है।
प्रदेश सरकार द्वारा लॉकडाउन 2 खत्म होने के बाद प्रदेश में शराब दुकान खोलने के निर्णय के लिए शराब ठेकेदारों ने हाई कोर्ट की शरण ले ली है। मध्यप्रदेश के व्यवसाई मां वैष्णो देवी इंटरप्राइजेज जबलपुर के आशीष शिवहरे सहित छिंदवाड़ा, लखनादौन, सिवनी, भोपाल, टीकमगढ़ व अन्य जिलों के 30 शराब ठेकेदारों ने याचिका दायर की है। अधिवक्ता राहुल दिवाकर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट को तर्क दिया कि पूर्व मै कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने नीति मै परिवर्तन कर नई नीति के अंर्तगत नियम कुछ और थे अब अलग है। उसके तहत शराब दुकानों को दिन में 14 घंटे खोले जाने की अनुमति थी। दुकान के साथ मे शराब पीने के लिए अहाता संचालन की भी अनुमति थी। लेकिन 23 मार्च के बाद से परिस्थितियां बदल गईं हैं।
लॉकडाउन के चलते 40 दिन दुकानें बंद रहीं। अब इन्हें खोलने की अनुमति भी दी गई है, तो कठोर शर्तों के साथ। इनके तहत जबलपुर, भोपाल आदि शहरी इलाकों में अभी भी दुकाने खोलने की अनुमति नही दी गई। जहां इज़ाज़त दी गई है, वहां भी महज 4-5 घण्टे शराब दुकानें खोली जा सकती हैं। अहाता के संचालन पर अभी भी प्रतिबंध लगा हुआ है। अधिवक्ता दिवाकर ने तर्क दिया कि इसके चलते याचिकाकर्ता ठेकेदारों को तगड़ा नुकसान हो रहा है। फिर भी राज्य सरकार ने ठेकों की निर्धारित राशि (बिड) कम करने के लिए कोई पहल नही की है। आग्रह किया गया कि ऐसे में याचिकाकर्ताओं के लिए पूर्व में तय की गई ठेकों की राशि(बिड) नुकसान के उचित अनुपात में कम की जाये। सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने रखा। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया।
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सरकार का पक्ष रखते हुए शराब ठेकेदारों के द्वारा दुकानें न खोलने पर कहा था कि सरकार जो फैसला है वो तो मानना पड़ेगा। शराब दुकानें तो खोलना पड़ेंगी, जो समस्या है उसका समाधान किया जाएगा। उधर कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार को मध्य प्रदेश में 17 मई तक शराब दुकानें बंद रखना चाहिए।
विदिशा में मंगलवार को राज्य सरकार ने सुबह 8 बजे से शराब दुकान खोलने की अनुमति दी थी लेकिन शराब ठेकेदारों ने लायसेंस फीस में छूट नहीं मिलने पर दुकानें खोलने से इनकार कर दिया। ठेकेदारों का कहना है कि राज्य सरकार ने उनसे चर्चा किए बगैर दुकान खोलने की अनुमति दी है। राज्य सरकार द्वारा लायसेंस छूट देने के बाद ही वे दुकान खोलेंगे।
आलीराजपुर के रानापुर में शराब ठेकेदार द्वारा दुकान नहीं खोली गई, दुकान पर लगा ताला लगा रखा ओर बडवानी जिले में शहर व सेंधवा को छोड़कर नियमानुसार अन्य जगह शराब दुकानें खोली जा सकती है। लेकिन ठेकेदार ने कहीं भी दुकानें नही खोली गई । आबकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी अनुसार जिले में कुल 50 शराब दुकानें हैं। इनमें से 8 दुकानें सेंधवा व बड़वानी कंटेनमेंट क्षेत्र में आती हैं, शेष 42 दुकानें ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में है।