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मध्यप्रदेश

पूरी दुनिया को विज्ञान भारत की देन है, यह बात हमें अपनी नई पीढ़ी को समझानी होगी - सखलेचा

उज्जैन ; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने प्रदेश के नागरिकों से आह्वान किया है कि भारत सरकार द्वारा 22 से 25 दिसंबर तक आयोजित किए जा रहे इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टीवल में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी और विद्यार्थियों को इस आयोजन से अवश्य जुडऩा चाहिए। सखलेचा ने कहा कि इस फेस्टीवल का उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही विश्व का कल्याण करना भी है, इसमें विज्ञान की अहम भूमिका है।
आज महाकौशल विज्ञान परिषद द्वारा आयोजित विज्ञान लोकव्यापीकरण की 14वीं राष्ट्रीय कार्यशाला ‘जिज्ञासा’ को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा वर्चुअल संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि इंडिया इंटरनेशनल फेस्टीवल में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अलग-अलग गतिविधियां समाज के हर वर्ग एवं क्षेत्र के लिए आयोजित की जा रही हैं। विज्ञान के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह अपना योगदान देने के लिए एक बेहतर मंच है। कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों, वैज्ञानिकों और शोधार्थियों से उन्होंने कहा कि अपने दैनिक जीवन की क्रियाओं में विज्ञान की जानकारी देते हुए बच्चों की विज्ञान में रूचि बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को विज्ञान भारत की देन है, यह बात हमें अपनी नई पीढ़ी को समझानी होगी। उन्होंने कहा कि विज्ञान पूरी दुनिया में भारत से गया है। दुनिया में जितनी भी तरह की थैरेपी हैं, उन सभी की शुरूआत भारत से हुई है। बीच का एक ऐसा समय आया, जब हम अपने इस अद्भुत ज्ञान को लिपिबद्ध नहीं कर पाए और दुनिया के दूसरे देशों ने उसका लाभ उठा लिया। मंत्री श्री सखलेचा ने कहा कि विज्ञान के माध्यम से अपने जीवन के साथ ही पूरे समाज को आनंदमय बनाते हुए इस अनुभव के साथ आत्मनिर्भर भारत के लिए काम करने की जरूरत है।
विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड, भारत सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मनोज पटेरिया ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार द्वारा विज्ञान जागरूकता के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी दिशा में छटवां इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टीवल का आयोजन होने जा रहा है। इस आयोजन से समाज के सभी लोगों को जोड़ा जा रहा है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ-साथ कला, सामाजिक विज्ञान, मीडिया, फिल्म और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों पर आधारित विशेष सत्र होने जा रहे हैं। इस आयोजन को निर्णायक परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के लिए सामंजस्य जरूरी है, इसीलिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ सभी क्षेत्रों में सामंजस्य स्थापित किया जा रहा है। कार्यक्रम को डॉ. संजीव जैन निदेशक आईआईआईटीडीएम जबलपुर, प्रो. कपिल देव मिश्र, कुलपति, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, डॉ. अनिल कोठारी, महानिदेशक मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, प्रवीण रामदास, आदि ने भी संबोधित किया।

20 December, 2020

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