राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि भारत जैसे देश के लिए सभी पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति की आवश्यकता है। जनसंख्या नीति में सुधार की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन देश के विकास में समस्याएं पैदा कर सकता है। उन्होंने अवैध घुसपैठियों पर नजर रखने के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की आवश्यकता पर जोर दिया। वे आज नागपुर में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के वार्षिक विजयदशमी समारोह को संबोधित कर रहे थे।
भागवत ने चीन और पाकिस्तान जैसे पडोसी देशों के भारत विरोधी रवैये पर भी सवाल उठाये। उन्होंने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से जम्मू कश्मीर में आए सकारात्मक परिवर्तनों की भी सराहना की।
भारत की आजादी में स्वतंत्रता सेनानियों के सर्वोच्च बलिदान को याद करते हुए भागवत ने अपील की कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान नई पीढी को इस गौरवशाली इतिहास की जानकारी दी जानी चाहिए।
देश में कुछ मंदिरों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि ऐसी संस्थाओं के संचालन के अधिकार हिंदुओं को सौंपे जाने चाहिए और इनकी संपत्ति का उपयोग केवल हिंदू समुदाय के कल्याणार्थ किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के मंदिरों पर पूरी तरह राज्य सरकार का नियंत्रण है जबकि देश में कुछ हिस्सों में मंदिरों का प्रबंधन सरकार व कुछ अन्य का श्रद्धालुओं के हाथ में है।
भागवत ने सरकार द्वारा संचालित माता वैष्णो देवी मंदिर जैसे मंदिरों का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे बहुत कुशलता से चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शेगांव में स्थित गजानन महाराज मंदिर, दिल्ली में झंडेवाला मंदिर, जो भक्तों द्वारा संचालित हैं, को भी बहुत कुशलता से चलाया जा रहा है। भागवत ने कहा, ‘लेकिन उन मंदिरों में लूट है जहां उनका संचालन प्रभावी ढंग से नहीं हो रहा है। जहां ऐसी चीजें ठीक से काम नहीं कर रही हैं, वहां एक लूट मची हुई है। कुछ मंदिरों में शासन की कोई व्यवस्था नहीं है। मंदिरों की चल और अचल संपत्तियों के दुरुपयोग के उदाहरण सामने आए हैं।’
भागवत ने कहा, ‘हिंदू मंदिरों की संपत्ति का उपयोग गैर-हिंदुओं के लिए किया जाता है, जिनकी हिंदू भगवानों में कोई आस्था नहीं है। हिंदुओं को भी इसकी जरूरत है, लेकिन उनके लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है।’ उन्होंने कहा कि मंदिरों के प्रबंधन को लेकर उच्चतम न्यायालय के कुछ आदेश हैं। साथ ही कहा, ‘शीर्ष अदालत ने कहा कि ईश्वर के अलावा कोई भी मंदिर का स्वामी नहीं हो सकता। पुजारी केवल प्रबंधक है। इसने यह भी कहा कि सरकार प्रबंधन उद्देश्यों से इसका नियंत्रण ले सकती है लेकिन कुछ समय के लिए। लेकिन उसे स्वामित्व लौटाना होगा। इसलिए इस पर उचित ढंग से निर्णय लिया जाना चाहिए।’
RSS प्रमुख ने कहा, ‘और इस संबंध में भी फैसला लिया जाना चाहिए कि हिंदू समाज इन मंदिरों की देख-रेख कैसे करेगा