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स्वास्थ

गरीब वृद्ध को पैसे के अभाव में न इलाज न एंबुलेंस, लिखा बाहर की दवाई, तो पिता को पीठ पर लादकर निकल पड़ा बेटा

गोंडा , बाबू ईश्वर सरण जिला चिकित्सालय की एक हैरान एंव मानवता को शर्मशार कर देने वाली तस्वीर सामने आई है। जिसमें एक गरीब को अस्पताल में 4 दिनों तक भर्ती रहने के बाद पैसे के अभाव में न तो समुचित इलाज मिला और ना ही घर जाने के लिए एंबुलेंस उसके पास पैसे भी नहीं थे। तो बेटे ने पिता को पीठ पर लादकर अस्पताल से करीब 30 किलोमीटर दूर कर्नलगंज पैदल अपने घर के लिए चल पड़ा। हालांकि बस स्टॉप पहुंचने पर कुछ समाजसेवियों द्वारा उससे पैसे देकर टेंपो से उसके घर भिजवाया गया।
योगी सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए तरह तरह का प्रयास कर रही हो लेकिन सरकारी अस्पताल में गरीबों को बिना जेब ढीली किए इलाज नहीं मिल पा रहा है। इस बात की पोल तब खुल गई जब कर्नलगंज के तहसील के हलधर मऊ ब्लाक निवासी शिव भगवान अपने वृद्ध पिता जीव बोध 72 वर्ष जिन्हें खांसी और सांस लेने में दिक्कत थी। करीब 4 दिनों तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्नलगंज पर इलाज कराया। कोई आराम न मिलने पर वहां के अधीक्षक ने इन्हें जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। 20 मई को शिव भगवान ने अपने पिता को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। आरोप है कि वहां पर वार्ड में तैनात नर्स द्वारा फाइल बनाने के नाम पर एक सौ रुपए की मांग की गई। पैसा ना होने के कारण वह नहीं दे सका। तो उसे डेंगू वार्ड में डाल दिया गया। इस दौरान नर्स द्वारा उसे बाहर से 2 इंजेक्शन मंगाने के लिए कहा गया तो उसने किसी तरह 590 रुपए का बाहर से 2 इंजेक्शन मंगवाया गया। 4 दिनों में सिर्फ वही दो इंजेक्शन लगाकर अस्पताल से कोई भी दवा नहीं दी गई। पैसा ना मिलने से नाराज नर्स बार-बार वृद्ध को लखनऊ रेफर करने की बात कहती रही। पीडि़त गरीब नर्स के सामने गिड़गिड़ा रहा पैसे नहीं हैं। कैसे लखनऊ लेकर जाएं। लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों को इस गरीब पर जरा सी भी दया नहीं आई। इस दौरान वृद्धि दर्द से चिल्लाता रहा। बेटा अस्पताल कर्मचारियों को पैसे ना होने की दुहाई देता रहा। लेकिन किसी ने बेटे की बात नहीं सुना। इलाज के अभाव में वृद्ध ने खाना पानी भी बंद हो गया। पिता की हालत अत्यधिक नाजुक होने पर उसने कहा कि साहब जब इलाज नहीं हो रहा है। तो मेरे पिताजी को एंबुलेंस से घर भिजवा दीजिए। अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि एंबुलेंस सिर्फ मरीजों को लाती है। वापस छोडऩे नहीं जाती है। तुम जैसे कि चाहो इनको घर ले जाओ यहां से कोई व्यवस्था नहीं हो पाएगी। बेटे को जब कोई उपाय नहीं सूझा तो उसने पिता को पीठ पर लादकर 30 किलोमीटर दूरी पैदल चलने का निर्णय लिया। बस स्टॉप से कर्नलगंज रोड पर पैदल कंधे पर लादकर जाते वृद्ध को देख कुछ समाजसेवी अपने आप को नहीं रोक पाए। उन्होंने उससे रोक कर पूरे हालात का जायजा लिया। तो बाबू ईश्वर सरण जिला चिकित्सालय के कर्मचारियों के कारनामों की पोल खुल गई। यह बात जब मीडिया कर्मियों द्वारा सीएमओ राधेश्याम केसरी को बताई गई। तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक से बात करने की सलाह दे डाली। जब सीएमएस को फोन किया गया तो उनका फोन नहीं उठा। मीडिया के लोगों द्वारा यह सारी तस्वीर अपने कैमरे में कैद कर जब सीएमएस इदूवाला को पूरे प्रकरण से अवगत कराया गया कि अभी एक मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है। वह अपने वृद्ध पिता को कंधे पर लाद कर ले जा रहा था उसने अस्पताल से एंबुलेंस मांगी ना तो उसे एंबुलेंस दी गई ना ही डिस्चार्ज का पर्चा दिया गया। दवा बाहर से लिखी गई। तो उन्होंने गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहां कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। अभी हमने वार्ड इंचार्ज से पूछा था तो उन्होंने बताया कि वह मरीज अपने आप चला गया है। हम इसकी जांच करेंगे। कि मरीज अस्पताल से गया तो रजिस्टर पर एंट्री क्यों नहीं की गई समय क्यों नहीं लिखा गया। यह पूछे जाने पर कि उसका आरोप है कि उसे बाहर से दवा लिखी गई तो उन्होंने कहा कि मैं यहां बैठी हूं उसे मेरे पास आना चाहिए। कुल मिलाकर अधिकारी एक रटा रटाया जवाब देते हैं कि इसकी जांच की जाएगी लेकिन आज तक जांच की आंच किसी भी कर्मचारी पर नहीं आई। यह जरूर है। की अस्पताल कर्मचारियों की ऐसी हरकत सरकार की साख को बट्टा लगा रही है।

25 May, 2022

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