जबलपुर,04 दिसम्बर ; हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश के जरिये शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप को लकर दर्ज कराई गई एफआइआर निरस्त कर दी। कोर्ट ने पाया कि महिला पहले से शादीशुदा थी और आरोपित को खुद अपने घर बुलाकर सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे। वह उससे उम्र में बड़ी भी थी।
न्यायमूर्ति सुजय पाल की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के न्याया दृष्टांतों का हवाला देते हुए साफ किया कि वर्तमान मामले में यह नहीं माना जा सकता है कि शादी का प्रलोभन देकर शारीरिक संबंध स्थापित किए गए थे। यह मामला छिंदवाड़ा जिले से संबंधित था।
महाराष्ट्र के वर्धा निवासी कुणाल हरीश वासनिक की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसके विरुद्ध छिंदवाड़ा महिला थाने में एक शिक्षिका की शिकायत पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म किए जाने की एफआईआर दर्ज की गई थी। याचिका में इसे निरस्त किए जाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि महिला से उसकी मुलाकात वर्धा के वैवाहिक कार्यक्रम में हुई थी। बाद में दोनों की दोस्ती हो गई और इंटरनेट मीडिया पर चैटिंग शुरु हो गई थी। महिला जो पांच साल बड़ी है, उसने जून 2021 में परिवार के सदस्यों को उमरिया कार्यक्र में जाने की जानकारी देते हुए उसे छिंदवाड़ा बुलाया। यह तीन दिन उसके घर रुका और सहमति से शारीरिक संबंध बनाए। याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि महिला और अलग-अलग जाति से हैं और पहले से शादीशुदा हैं।