भोपाल,06अप्रैल : मध्य प्रदेश में चीतों का अगला रहवास मन्दसौर जिले में स्थित गांधीनगर अभ्यारण्य होगा। इसे तैयार करने के लिए कैंपा फंड से २० करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इससे अभ्यारण्य के तीन तरफ से चैनलिंग-फेंसिंग की जाएगी। इसमें अन्य क्षेत्रों से पकड़कर शाकाहारी वन्यप्राणियों को छोड़ा जाएगा। इसमें करीब डेढ़ साल लगेगे। संभावना जताई जा रही है कि भविष्य में दक्षिण अफ्रीका से लाए जाने वाले चीते गांधीसागर अभ्यारण्य में ही छोड़े जाएंगे। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के अध्ययन के अनुसार चीतों के लिए मध्यप्रदेश में कूनो पालपुर, गांधीसागर और नौरादेही अभ्यारण्य का जंगल अनुकूल है।
कूनों की तुलना में गांधीसागर में ज्यादा मैदानी क्षेत्र हैं। जिससे चीते अच्छे से जीवित रहने (सर्वादय) में सफल होंगे। इन्हीं विशेषताओं को देखते हुए गांधीसागर अभ्यारण्य को तैयार किया जा रहा है। इसमें एक तरफ गांधीसागर बांध का पानी है, तो तीन तरफ जंगल है। चैनलिंग जाली लगाकर जंगल वाले क्षेत्र को बंद किया जाएगा। इसमें चीतों को लाने से पहले हिरण, नीलगाय, चीतल सहित अन्य वन्यप्राणी छोड़े जाएंगे। अब यह तय किया गया है कि जहां भी शाकाहारी वन्यप्राणियों को पकडऩे की स्थिति बनेगी, उन्हें गांधीसागर में ही छोड़ा जाएगा। मंदसौर, नीमच, शाजापुर, छतरपुर, छिंदवाड़ा सहित प्रदेश के 35 जिलों में नीलगाय और काले हिरण फसलों के लिए समस्य बने हुए हैं। किसान हर साल फसलों के नुकसान का मुद्दा उठाते हैं और इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए वन विभाग दस साल से प्रयास कर रहा है, पर सफल नहीं हुआ है। अब इसमें दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
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