भोपाल,03 मई : चुनाव को देखते हुए कांग्रेस एक बार फिर मंदिर-मंदिर जाने की रणनीति पर काम कर रही है। कांग्रेस भाजपा को अभी तक धर्म की राजनीतिक से अलग रखने की लगातार सीख देती आ रही थी । परंतु कांग्रेस अब हर वह काम करने की कोशिश में है जिससे कि उसे हिंदू समाज का विश्वास हासिल हो सके। कांग्रेस के इस यू टर्न से एक बड़ा वर्ग प्रभावित होगा या हनीं कहना फिलहाल मुश्किल है, । लेकिन इससे पार्टी पर अब तक भरोसा कर रहा मुस्लिम वर्ग जरूर नाखुश होता दिख रहा है। कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इससे पार्टी की स्थिति और खराब होगी। कांग्रेस की तय रणनीति के अनुसार चुनाव के चलेते कांग्रेस नेताओं के मठ, मंदिर के फेरे बढ़ेंगे। सबसे खास बात यह है कि धार्मिक मुद्दे पर अनर्गल बयान देने से भी कांग्रस नेताओं को परहेज करना होगा। इसको लेकर पार्टी आलाकमान ने सख्ती बरतना शुरु कर दिया है कि कोई भी नेता धर्म को लेकर विवादत बयान नहीं देगा।
चुनाव के दौरान यदि किसी नेता के बयान से विवाद खड़ा होता है और संगठन को सियासी नुकसान होता है तो फिर संबंधित नेता को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकेगा।
कांग्रेस की प्रदेश अनुशासन समिति पार्टी हाईकमान से मिले फरमान के बाद चुनाव को लेकर दिशा-निर्देश तैयार कर रही है। जिन्हें जल्द ही जारी कर दिया जाएगा। टिकटों की घोषणा होने के बाद पार्टी प्रत्याशी से लेकर सभी स्टार प्रचारकों को यह खासा ध्यान रखना होगा कि कोई ऐसा बयान नहीं दें। आमतौर पर कांगे्रस नेता सफेद कुर्ता-पजामे में दिखाई देते हैं। लेकिन चुनाव में कांग्रेस नेता भगवा रंग भी धरण कर सकते हैं। साथ ही माथे पर लंबा-चौड़ा तिलक भी दिखाई देगा। चुनावी सभा में नेता जय सिायाराम का नारा भी बुलंद करेंगे।
कांग्रेस आलाकमान ने हिंदी भाषी राज्यों को लेकर विशेष रणनीति तैयार की है। प्रदेश कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के अनुसार अभी मप्र कांग्रेस ने इस विषय को सार्वजनिक नहीं किया है। संभवत: सावन के महीने में इस पर चर्चा होगी। सावन का महीना शिव भक्ति का होता है। कांग्रेस नेता सावन के महीने में ज्यादा से ज्यादा संख्या में मंदिर-मंदिर जाते दिखाई देंगे।