नई दिल्ली 09 जुलाई; दिल्ली हाई कोर्ट ने बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के खिलाफ यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) के तहत कार्रवाई की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने एक बच्चे के होठ चूमकर प्यार जताने को तिब्बती संस्कृति का हवाला देते हुए याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया
अदालत ने कहा घटना पूरी तरह से सार्वजनिक रूप से हुई है। इसमें ये पाया कि नाबालिग बच्चे ने ही दलाई लामा से मिलने और गले लगाने की इच्छा और इरादा व्यक्त किया था। अदालत ने कहा कि प्रतिवादी बच्चे को हंसाने की कोशिश कर रहा था और इसे तिब्बती संस्कृति के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। इस तथ्य को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि वह एक धार्मिक संप्रदाय का प्रमुख है। पीठ ने कहा कि दलाई लामा ने उन लोगों से पहले ही माफी मांग ली है, जिन्हें ठेस पहुंची है। अदालत ने कहा कि सरकार इस मुद्दे की जांच करेगी और इस मामले में सार्वजनिक हित की कोई बात नहीं है।
दलाई लामा ने लड़के के होठों को चूमा
वीडियो में, दलाई लामा लड़के के होठों को चूमते और हुए दिखाई दे रहे थे। याचिकाकर्ता ने अदालत से यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पाक्सो) अधिनियम के तहत घटना का संज्ञान लेने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया था और यह भी मांग की थी समाचार पोर्टलों से बच्चे की पहचान वापस ले ली जाए।
दलाई लामा के खिलाफ एक NGO ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए कहा, “दलाई लामा ने इसके लिए माफी मांगी है, उन्होंने कहा था कि इसे तिब्बती संस्कृति के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह घटना डेढ़ साल से ज्यादा पुरानी है। यह पूरी तरह से सार्वजनिक रूप से हुई थी। बच्चे ने दलाई लामा से मिलने की इच्छा और मंशा जताई थी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि वह पवित्रता को संदेह के घेरे में लाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों को घटना का संज्ञान लेने के बाद बयान जारी करना चाहिए था। अधिवक्ता ने तर्क दिया गया कि अगर कार्रवाई नहीं की गई, तो नाबालिगों को होठों पर चूमना सामान्य बात हो जाएगी। याचिकाकर्ता ने सभी धार्मिक स्थलों, आश्रमों का आडिट करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया था।