नई दिल्ली। रिलायंस जियो के साथ प्वाइंट ऑफ इंटरकनेक्शन (पीओआई) मुद्दे पर ट्राई ने दूरसंचार विभाग से एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया पर उन सर्किलों में प्रति सर्किल 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने को कहा है जहां जियो के साथ उनका पीओआई कन्जेशन 0.5 प्रतिशत से अधिक है। ट्राई ने तीनो कंपनियों पर लाइसेंस समझौते की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए दूरसंचार विभाग को खत लिखा है। यानी रिलायंस जियो के कॉल्स ब्लॉक करने पर इन विरोधी कंपनियों पर 3,050 करोड़ रुपए तक का फाइन हो सकता है।
शुक्रवार को लिखे गए खत में ट्राई ने कहा है कि उसे 14 जुलाई को रिलायंस जियो की शिकायत प्राप्त हुई थी। जिसमें भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया पर अपर्याप्त ई1एस प्रदान करने का आरोप लगाया गया था। जिस पर अथारिटी ने 19 जुलाई को तीनों कंपनियों से जवाब तलब किया। इस पर 3 अगस्त को को जवाब प्राप्त हुए। 4 अगस्त और फिर 12 अगस्त को रिलायंस जियो से वही पुन: वैसी ही शिकायतें प्राप्त हुई। 2 सितंबर को ट्राई को सीओएआइ का पत्र भी प्राप्त हुआ जिसमें कहा गया था कि रिलायंस जियो की शिकायतें निराधार हैं। उसके सदस्य आरजियो के व्यर्थ के अनुरोधों को पूरा कर सकते हैं।
9 सितंबर को ट्राई ने एयरटेल, आइडिया, वोडाफोन समेत टेलीकॉम आपरेटर्स के साथ एक बैठक की और उनसे स्पष्ट रूप से कहा गया कि अपर्याप्त पीओआइ की वजह से ग्राहकों को होने वाली परेशानी के लिए उन्हें जिम्मेदार माना जाएगा।
इसके बाद 15 सितंबर को रिलायंस जियो का एक और खत ट्राई को प्राप्त हुआ। जिसमें उसने तीनो कंपनियों के साथ फेल होने वाली कॉल्स का ब्यौरा देते हुए ट्राई से दखल देने का अनुरोध किया था। इस पर ट्राई ने 19 सितंबर को तीनो कंपनियो से उनके द्वारा 9 सितंबर की बैठक के बाद उठाए गए कदमों का ब्यौरा मांगा। 23 सितंबर को उसे ब्यौरा प्राप्त हुआ जिससे साफ पता चलता है कि व्यस्त घंटों में रिलायंस जियो की फेल हुई कॉल्स की संख्या असामान्य रूप से ज्यादा थी।
स्पष्ट था कि ये कंपनियां एग्रीमेंट की शर्तो का पालन करने में विफल रही है। 27 सितंबर को तीनों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा गया कि बेसिक टेलीकॉम सर्विस (वायरलाइन) एवं सेल्युलर मोबाइल टेलीफोन सर्विस रेग्यूलेशंस-2019 तथा यूनीफाइड लाइसेंस एवं यूनीफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेंस की शर्तो का उल्लंघन करने के लिए क्यों न ट्राई एक्ट के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
इसके बाद 30 सितंबर को तीनो के सीईओ के साथ बैठक हुई। और 3 अक्टूबर को पत्र के जरिए आरजियो के साथ टै्रफिक तथा कंजेशन का ब्यौरा मांगा गया। 7 अक्टूबर को तीनो ने पत्र लिखकर बताया कि उन्होंने किन वजहों से कोई कदम नहीं उठाया है। जैसे केवल कामर्शियल लांचिंग के बाद ही इंटरकनेक्शन क्षमता के प्रावधान लागू होते हैं। कारण बताओ नोटिस चालू प्रक्रिया के पूरी होने का इंतजार किए बगैर बेवजह जारी किया गया है। इसमें अपर्याप्त आंकड़ों को आधार बनाया गया है। खुद आरजियो अपनी क्षमताएं चालू करने को तैयार नहीं है। ट्राई के 7 जून के निर्देशों में 90 दिन के भीतर क्षमताएं पूरी करने की बात कही गई है