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राजकपूर और अमिताभ के साथ फिल्मो मै काम करने वाला कलाकार नत्थूदादा भूखे मर रहा है

राजनांदगांव। बालीवुड कलाकार 67 साल के नत्थू रामटेके (नत्थू दादा) का परिवार भूखे मर रहा है। उम्रदराज होने के कारण वे खुद तो कोई काम कर नहीं पाते। आठ साल तक आदिम जाति कल्याण विभाग में भृत्य के रूप में काम करने वाली पत्नी चंद्रकला रामटेके को भी नौकरी से निकाल दिया गया है। तंगी के कारण बच्चों की पढ़ाई छूट गई और अब तो खाने के भी लाले पड़ रहे हैं। पत्नी की नौकरी वापस मिल जाए तो जैसे-तैसे परिवार का गुजारा हो। यही सोचकर वे अफसरों के दफ्तरों का हर दिन चक्कर काट रहे हैं।
करीब ढाई सौ फिल्मों में काम कर चुके नत्थू दादा की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। मामूली मानदेय पर वे नगर निगम की चौपाटी में सेवा दे रहे हैं। पूरा परिवार का पालनपोषण पत्नी चंद्रकला को मिलने वाली पगार से ही होता था, लेकिन कुछ माह पहले उन्हें भी दैवेभो की नौकरी से हटा दिया गया। मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना के भरोसे चावल-गेहूं तो मिल जा रहा, लेकिन बाकी जरूरतों के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। आर्थिक सहायता, पत्नी की नौकरी और घर में शौचालय निर्माण को लेकर वे हर नेता और हर जिम्मेदार अफसर से गुहार लगा चुके हैं।
लगभग 67 साल की मत के नत्थूदादा ने 1982_83 मै डी सिने आर्टिस्ट एसोसियन मुबई के सदस्य थे और 100 से ज्यादा फिल्मो मै काम किया है | उनका फ़िल्मी सफर एक कुश्ती कार्यक्रम के दौरान दारासिंग की नजर उनपर पड़ी और उन्होंने नत्थू दादा को मुबई आने का न्योता दे दिया और उनका फ़िल्मी सफर शुरू होगया । और उन्होंने शो मेन राजकुर के साथ मेरा नाम जोकर अमिताभ के साथ कस्मेवादे राजकुमार के साथ धर्मकाटा फिरोज खान के खोटे सिक्के आदि उस समय के सभी बड़े सितारों के साथ काम किया है परन्तु धर्मकाटा में एक स्टेट सीन के दौरन घायल होने की वजह से उनका सफर थम गया और वे वापस नही जा सके और अपना जीवन गांव में ही गुजारने लगे परन्तु पत्नी की नोकरी चले जाने के बाद अब अपना बाकि का जीवन मुफलिसी में गुजर रहे है
नत्थू दादा ने मुख्यमंत्री और सांसद से आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन चार माह बाद में उनके हाथ कुछ नहीं आया। अफसरों को काम करने का निर्देश मिला था। काम हो जाएगा, इस उम्मीद में नत्थू दादा कलेक्टर, आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त, शिक्षा विभाग के अफसरों समेत कई अधिकारियों के दफ्तरों में दस्तक दी, लेकिन सभी ने उन्हें यह कहकर दुत्कार दिया कि उनकी पत्नी को फिर से नौकरी पर नहीं रख सकते।
नत्थू दादा की सीएम डा. रमन सिंह से अच्छी मित्रता है। वे उनके हर चुनाव में काम करते रहे हैं। पिछले दिनों आडिटोरियम में एक कार्यक्रम के दौरान मुलाकात करने पहुंचे दादा को सीएम ने भरोसा दिलाया था कि उनके सारे काम किए जाएंगे। इसके लिए उन्होंने कलेक्टर से कहा भी था कि नत्थू उनके अच्छे मित्रों में से हैं। गंभीरता के साथ उनका काम करना है। काम तो दूर प्रशासन उन्हें कोई राहत नहीं दिला पाया। नत्थू दादा सांसद अभिषेक सिंह से भी तीन बार मिल चुके हैं।
गुरुवार को अपनी पीड़ा सुनाने नत्थू दादा वायरल फीवर से पीड़ित होने के बाद भी वे चार दिनों से अफसरों के चक्कर काट रहे हैं। हताश हो चुके नत्थू ने राज्य सरकार से सवाल पूछा कि क्या वे भी विकलांग युवक की तरह सीएम हाउस के सामने आत्मदाह कर लें? क्या तभी सरकार उनके परिवार वालों को आर्थिक मदद और नौकरी देगी। या फिर परिवार वालों के साथ सामूहिक आत्महत्या जैसा कदम उठाएं? उन्होंने कहा कि उन्हें मदद नहीं मिली तो आत्मघाती कदम उठाने का अलावा और कोई रास्ता नहीं बचेगा। जल्द ही वे मुख्यमंत्री से मिलकर फिर से अपनी पीड़ा बताएंगे।

09 December, 2016

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