चैरिटी संस्था ऑक्सफैम ने कहा कि ये वो पहले से बेहतर आंकड़ो के आधार पर कर रहे हैं और लेकिन आंकड़ों से ताज्जुब में है. इंस्टीच्यूट ऑफ़ इकोनॉमिक अफेयर्स के मार्क लिटिलवुड ने कहा कि ऑक्सफैम 'अमीरों पर कुछ ज़्यादा ही ध्यानमग्न' है और ग़रीबों के लिए काम करने का दावा करने वाली संस्था को आर्थिक प्रगति के रास्ते सुझाने पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए. ऑक्सफैम की रिपोर्ठ ठीक वैसे वक्त आई है जब स्विट्ज़रलैंड के डावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक होनेवाली है. ब्रिटेन में अर्थशास्त्री गेरार्ड लेयोन्स भी हालांकि मानते हैं कि लोगों को अर्थव्यवस्था को बेहतर करने पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन वो कहते हैं कि ऑक्सफैम उन कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करके ठीक कर रहा है जो अपने शेयरधारकों और बड़े अधिकारियों के लिए अधिक से अधिक धन कमाने के तरीक़े ढूंढती रहती हैं. ऑक्सफैम की केटी राइट का ने कहा कि अमीरों-ग़रीबों के बीच बढ़ती खाई लोगों को दो ख़ेमों में बांट रही है जिसका नतीजा है डोनल्ट टंप जैसे लोगों का चुना जाना. कौन हैं ये? बिल गेट्स (अमरीका) - सॉफ़्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक एमैन्सियो ऑर्टेगा (स्पेन) - ज़ारा की मालिक कंपनी इंडाइटेक्स के मालिक वॉरेन बफेट (अमरीका) - बर्कशायर हैथवे के सबसे बड़े शेयरहोल्डर कार्लोस स्लिम (मैक्सिको) - ग्रुपो कार्सो के मालिक जेफ़ बेज़ोस (अमरीका) - अमेज़न के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क ज़करबर्ग (अमरीका) - फेसबुक के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी लैरी एलिसन (अमरीका) - ओरैकल के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी माइकल ब्लूमबर्ग (अमरीका) - ब्लूमबर्ग के मालिक स्त्रोत: फोर्ब्स बिलनियनर्स लिस्ट, मार्च 2016
(बीबीसी हिन्दी