भारतीय क्रिकेट टीम सोमवार को हरारे में मेज़बान ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ दूसरा एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय मुक़ाबला खेलेगी.भारतीय टीम का उद्देश्य दूसरा मैच भी अपने नाम कर तीन मैचों की इस सिरीज़ में 2-0 की अजेय बढ़त हासिल करना होगा.
पिछले मैच में ज़िम्बाब्वे की टीम भारतीय गेंदबाज़ों के सामने 49.5 ओवर में केवल 168 रनों पर ही ढेर हो गई थी.जसप्रीत बुमराह, धवन कुलकर्णी और बरिंदर सरन के सामने ज़िम्बाब्वे के तमाम बल्लेबाज़ नौसिखिए साबित हुए. ऐसा नहीं है कि ज़िम्बाब्वे के चामू चिभाभा, हैमिल्टन मसाकात्ज़ा, क्रैग इरवाइन, वुसी सिबांडा और सिकंदर रज़ा को अनुभव की कमी है.
लेकिन भारतीय गेंदबाज़ों की सटीक लाइन-लैंग्थ के सामने वह एक-एक रन बनाने के लिए संघर्ष करते दिखे. बुमराह ने केवल 28 रन देकर चार विकेट झटके. बल्लेबाज़ी में केएल राहुल ने अपने पहले ही एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में नाबाद 100 रन बनाकर पहला भारतीय बल्लेबाज़ होने का गौरव हासिल किया. इसके साथ ही राहुल ने भविष्य के सलामी बल्लेबाज़ के संकेत भी दे दिए.राहुल ने इससे पहले आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स के लिए खेलते हुए भी शानदार बल्लेबाज़ी की थी. राहुल की सबसे बड़ी ख़ासियत उनकी तकनीक है.इसी के सहारे उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ भी अपने दूसरे ही टेस्ट मैच में शतक जडा था.
ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ शतक से उनका मनोबल वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ होने वाली आगामी टेस्ट सिरीज़ के लिए भी ऊंचा होगा.
अगर भारत सोमवार को इस सिरीज़ में 2-0 की अजेय बढ़त बना लेता है तो भले ही क्रिकेट समीक्षकों के लिए इसका कोई विशेष मायने ना हो लेकिन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए यह ख़ास होगी. धोनी इससे पहले साल 2015 में दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ पांच एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों की सिरीज़ 3-2 से हार चुके हैं. इसके बाद उन्हें इसी साल ऑस्ट्रेलिय के ख़िलाफ़ भी पांच एकदिवसीय मैचों की सिरीज़ में 4-1 से हार का सामना करना पड़ा था.
इतना ही नहीं, इससे पहले धोनी की कप्तानी में भारत को 2015 में बांग्लादेश के हाथों भी एकदिवसीय सिरीज़ में 2-1 से हार से दो-चार होना पडा था.