सूरत. जेल में बंद नारायण साईं को गुजरात के सूरत स्थित आश्रम में दो बहनों से दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत ने शुक्रवार को आसाराम के बेटे नारायण साईं को दोषी पाया है । जिसकी सजा का फैसला 30 अप्रैल को सुनाई जा सकती है। मामला 11 साल पुराना है। नारायण और आसाराम के खिलाफ सूरत की दो बहनों ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। पुलिस ने पीड़ित बहनों के बयान और सबूतों के आधार पर केस दर्ज किया था।
पीड़ित छोटी दोनों बहन ने नारायण साईं और आसाराम के खिलाफ ठोस सबूत पेश किए थे और मौका-ए-वारदात को पहचाना था। बड़ी बहन ने आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था। मामला दर्ज होने के बाद नारायण साईं फरार होगये थे | करीब दो महीने बाद दिसंबर, 2013 में उसे हरियाणा-दिल्ली नेसीमा पर नारायण साईं को सिख के वेश के गिरफ्तादार किया था | जेल में रहते हुए नारायण ने पुलिस कर्मचारी को 13 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का भी आरोप लगा था।
गिरफ्तादारी के बाद नारायण साई की पत्नी जानकी ने भी अपने पति और ससुर आसाराम पर प्रताड़ना के आरोप लगाए था जिसकी एफआईआर इंदौर में खजराना थाने 19 सितंबर 2015 को हुई थी । इसमें कहा था कि 22 मई 1997 को उसकी शादी नारायण हरपलानी (नारायण साईं का असली नाम) से हुई थी। इसके बाद नारायण ने उसके सामने ही कई महिलाओं से नाजायज संबंध कायम किए, जिससे उसे मानसिक प्रताड़ना सहना पड़ी। साथ ही उसे पत्नी मानने से भी इंकार कर दिया था।अासाराम को 2013 में नाबालिग से दुष्कर्म के केस में इंदौर के आश्रम से गिरफ्तार किया गया था।