भोपाल : बुधवार, इस साल मिर्च की भरपूर फसल आने से खरगौन के कसरावद के किसानो मे खुशी की लहर है | जामखेडा गांव के किसान संतोष अनोक चंद्र जैसे कई किसानों के लिये मिर्च तीखी नहीं मीठी साबित हुई है।
मध्यप्रदेश के खरगौन जिले के सनावद के पास एशिया की दूसरी सबसे बडी मिर्च मंडी बेड़िया में इस बार अब तक 2.71 लाख क्विंटल की आवक हो चुकी है। इसका मूल्य 202 करोड है।
निमाड़ की मिर्च रंग और तीखेपन के कारण अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी है। देश के भीतर और कई एशियाई देशों विशेष रूप से चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका, वियतनाम, थाईलैंड और यूएई में भी भेजी जा रही हैं। खरगौन, धार, खंडवा, बड़वानी, अलीराजपुर जैंसे जिलों से बड़ी मात्रा में मिर्च का उत्पादन होता है। मिर्च उत्पादक किसान निमाड़ी मिर्च की ब्रांडिग को लेकर उत्साहित हैं और मानते हैं कि इससे मिर्च बाजार में अच्छे दाम मिलेंगे।
श्रीभीकनगांव के कमलचंद रामलाल कहते हैं कि करीब 80 किसानों से मिर्च लगाई है। एक किसान औसत दस एकड़ में फसल लेता है । इस बार रेट अच्छे मिलने से चार लाख प्रति एकड़ के दाम मिल जायेंगे। ज्यादातर ने माही किस्म लगाई है। कुछ ने वीनस लगाई है। दोनों अच्छी हैं। इस साल अच्छी फसल हुई है। वे कहते हैं कि निमाड़ क्षेत्र के हवा, पानी और मिट्टी में ऐसी कुछ विशेषता है कि यहाँ उगने वाली सभी किस्म की मिर्च तीखी और सुर्ख लाल रंग की होती है। वे कहते हैं कि मिर्च तीखी होती है लेकिन अब अच्छी फसल होती है तो हमारे लिये मीठी हो जाती है।
मुंबई के मिर्च और उद्यानिकी फसलों के निर्यात से जुड़े आयुष बियानी का कहना है कि निमाड़ी मिर्ची की भौगोलिक पहचान का प्रमाण-पत्र लेना व्यापार के लिहाज से जरूरी कदम है। इससे मिर्च के व्यापार पर अच्छा असर पड़ेगा साथ ही किसानों को और भी अच्छे दाम मिलेंगे। अगर निमाड़ के मिर्ची उत्पादक किसानों को निर्यात से जुड़ी प्रक्रियाओं और निर्यात लायक उत्पाद खुद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इससे निर्यात पर अच्छा असर पड़ेगा। वे कमल नाथ सरकार के हार्टिकल्चर हब बनाने की पहल की तारीफ करते हुए कहते हैं कि किसानों को भी इस काम में भरपूर साथ देना पड़ेगा क्योंकि यह सरकार का नहीं किसानों का काम है।
तीन दशकों से खरगौन और इंदौर में मिर्ची के व्यापार में सक्रिय फर्म एआर ट्रेडर्स के मालिक अब्दुल रहीम का कहना है कि निमाड़ की मिर्च को भौगोलिक पहचान मिलने से बाजार में इसका मूल्य बढ़ेगा। एक ब्रांड के रूप में इसकी मांग बढ़ेगी। इसके साथ ही एक और जिम्मेदारी यह भी बढ़ जायेगी कि निमाड़ की मिर्च की गुणवत्ता को बरकरार रखना पडेगा। वे कहते हैं यहां की मिर्च चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्री लंका, सउदी अरेबिया और मलेशिया तक जाती है। किसानों का सहयोग मिले तो निर्यात को और तेज किया जा सकता है। उनका सुझाव है कि मिर्च मंडियों में किसानों और व्यापारियों के लिये और ज्यादा सुविधाएँ होना चाहिए ।
खरगौन के मंडी सचिव रामवीर किरार मिर्च की विशेषता के बारे में बताते हैं कि रंग, लंबाई, गंध और तीखापन से गुणवत्ता तय होती है। निमाड़ की मिर्च में रंग और तीखापन दोनों ही ज्यादा होता है। वे बताते हैं कि मिर्च उत्पादक किसानों में मिर्च उत्पादन के आधुनिक तौर तरीकों की ओर रूझान हुआ है। बड़े किसान भी कम से कम 50 प्रतिशत हिस्से में मिर्च लगा लेते हैं।