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MP के पॉलिटिकल संकट पर सामना संपादकीय के जरिए शिवसेना ने कांग्रेस को लगाई फटकार

मुंबई: मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी उथल-पुथल के बीच शिवसेना (Shivsena) ने सामना के जरिए मध्यप्रदेश के सियासी संकट का बहाना बनाते हुए महाराष्ट्र में अपनी ही सहयोगी पार्टी कांग्रेस पर निशाना साधा है. बता दें कि महाराष्ट्र की सरकार में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन है. सामना के संपादकीय में लिखा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का बीजेपी में जाना कांग्रेस की युवा नेता के प्रति अहंकार, लापरवाही और नई पीढ़ी को कम आंकने के कारण हुआ है.

साथ ही साथ सामना में यह भी लिखा गया है कि अगर मध्य प्रदेश में सरकार गिरती है तो बीजेपी के चाणक्य इसकी जिम्मेदारी न लें क्योंकि सिंधिया बीजेपी में कांग्रेस की अपनी गलतियों की वजह से शामिल हुए हैं. सिंधिया को मध्य प्रदेश की राजनीति में नजरअंदाज करना गलत होगा. भले ही सिंधिया की पकड़ पूरे मध्यप्रदेश में ना हो लेकिन ग्वालियर और गुना जैसे बड़े क्षेत्रों में सिंधिया शाही का प्रभाव है. चुनाव से पहले सिंधिया ही कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार थे लेकिन चुनाव के बाद वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें नजरअंदाज किया और दिल्ली का आलाकमान देखता रह गया.

सामना में आगे लिखा गया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की मांग कोई बड़ी नहीं थी. पहले उन्होंने मध्य प्रदेश के अध्यक्ष का पद मांगा बाद में राज्यसभा के लिए टिकट मांगा. अगर इन दोनों में से एक भी बात मान ली गई होती तो सिंधिया जैसा नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में नहीं गया होता. मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में बीजेपी को हराना आसान नहीं था क्योंकि उस समय दोनों ही प्रदेशों में बीजेपी के दिग्गज उन प्रदेशों का नेतृत्व कर रहे थे. ऐसे में राज्य के युवा, किसान और मेहनतकश लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया. फिर भी दोनों ही राज्यों में सरकार पुराने लोगों के हाथों में मुख्यमंत्री का पद लग गया.

सामना में आगे लिखा गया है कि जब पुराने लोग असफल होते हैं तो नए लोगों को मौका देकर उनके नेतृत्व पर भरोसा करना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसीलिए राजस्थान में भी युवा और जुझारू सचिन पायलट और सीएम गहलोत में संघर्ष जारी है. ऐसे में अगर दोनों की बीच का संघर्ष नहीं मिटा तो राजस्थान भी मध्य प्रदेश की राह पर चल पड़ेगा.

सामना में महाराष्ट्र के सियासत के बारे में लिखा गया है कि मध्यप्रदेश में आगे क्या होगा यह कुछ दिनों में साफ हो जाएगा. लेकिन इसे देखकर महाराष्ट्र के बीजेपी वाले ज्यादा ना कूदे मध्य प्रदेश की राजनीति अपनी जगह है. इसीलिए महाराष्ट्र के कमल पंथी दिन में सपने न देखें. राज्य में महाआघाड़ी की सरकार माननीय उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चल रही है जो कि अभेद है, यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में प्रवेश के विषय को लेकर कहा गया है कि जिस सिंधिया को बीजेपी ने पिछले साल लोकसभा चुनाव में हराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. उन्हीं का इस साल बीजेपी ने पूरे गाजे-बाजे के साथ पार्टी में स्वागत किया, उनकी तारीफ की.

कमलनाथ को लेकर सामना में कहा गया है कि कमलनाथ भी कोई नये खिलाड़ी नहीं है बल्कि एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ हैं, करामाती हैं, जुगाड़ु हैं. ऐसे में पिछले कुछ महीनों में जैसी राजनीति महाराष्ट्र में हुई है, कहीं वैसा ही प्रयोग मध्यप्रदेश में भी ना हो इस बात का बीजेपी ख्याल रखे.

 

 

सौजन्य : जी न्यूज


फ़ाइल फोटो

 

 

 

12 March, 2020

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