नई दिल्ली: विशाखा याद्व के पिता दिल्ली पुलिस मै ASI के पद पर कार्यरत राजकुमार यादव की बेटी है जिसने दिल्ली की टेक्निकल यूनिवर्सिटी से बीटेक करने के बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी की और जिसका पैकेज लाखो मै था । पर्ंतु मन और आखो मै कुछ और ही सपने थे जिसको पुरा करने के लिये विशाखा ने अपनी लाखों की नौकरी छोड़ कर सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की थी. पहले दो साल नामी कोचिंग सेंटर से कोचिंग लेने के बाद भी विशाखा यूपीएससी की प्रिलिम्स तक क्लियर नहीं कर पाई थीं जिसके बाद विशाखा ने घर पर रहकर पढ़ाई की और 2019 में सिविल सर्विस की परीक्षा दी थी, जिसमें उनका छठा रैंक आया है.
यूपीएससी 2019 के परिणामों ने इस कथन को सच साबित कर दिया है.की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के सरकार के नारे के बाद अब इस बेटी को देखकर लोग कहने लगे हैं कि 'बेटी पढ़ाओ, अफसर बनाओ'. दिल्ली के उत्तम नगर में रहने वाली विशाखा यादव ने सिविल सर्विस एग्जाम में छठी रैंक हासिल कर अपने मां-बाप का नाम रोशन कर दिया है.
विशाखा यादव ने बताया कि 2014 में बीटेक करने के बाद उनकी नौकरी बेंगलुरु की एक मल्टी नेशनल कंपनी में लाखों के पैकेज पर लग गई थी. लेकिन उसके अंदर प्रशासनिक सेवा में जाने के अपने सपने थे जिसने उनको टुटने नही दिया और करीब ढाई साल नौकरी करने के बाद नौकरी छोड़ दी और सिविल सर्विस की तैयारियों में जुट गई, विशाखा ने यूपीएससी की तैयारी कर उसने छटा स्थान प्राप्त किया । उन्होने परीक्षा की तैयारी करने वालो को सलाह दी कि ज्यादा देर पढ़ने की जगह टार्गेट बेस्ट पढ़ाई करनी चाहिए.
विशाखा के पिता राजकुमार यादव दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर है. उन्होंने पुलिस की नौकरी की वजह से ज्यादा समय तो घर में नहीं दिया लेकिन हर मुमकिन मदद की. विशाखा की मां ने भी हर मोड़ पर उसका साथ दिया और उसकी पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी. विशाखा IAS बनकर बच्चों और महिलाओं के लिए करना चाहती ।