भोपाल। कांग्रेस का राजनीतिक इतिहास इस बात का गवाह है कि वह हमेशा से दलित, पिछड़े और आदिवासी नेताओं को गिराने के लिए षडयंत्र रचती रही है। कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार ने भी अगर किसी वर्ग के हितों पर सबसे ज्यादा कुठाराघात किया है, तो वह पिछड़ा वर्ग ही है। अपने चुनावी लाभ के लिए कमलनाथ सरकार ने 27 फीसदी आरक्षण की नौटंकी रची और पिछड़ा वर्ग के लोगों के राजनीतिक अधिकार छीनने के लिए पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में व्यवधान पैदा किए। इतना सब कुछ करने के बावजूद कमलनाथ पूरी बेशर्मी के साथ उसी पिछड़े वर्ग के लोगों से सम्मान कराने का ढोंग रच रहे हैं। जबकि कमलनाथ को तो सार्वजनिक मंच से अपनी पिछड़ा वर्ग विरोधी हरकतों के लिए समाज के लोगों से माफी मांगनी चाहिए थी। यह बात भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भगत सिंह कुशवाह ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के कथित पिछड़ा वर्ग संगठनों द्वारा खुद को सम्मानित कराने की निंदा करते हुए कही।
कुशवाह ने कहा कि कार्यक्रम में कमलनाथ ने पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने की जिस घोषणा का जिक्र किया, वास्तव में वह घोषणा सिर्फ चुनावी लाभ के लिए लोकसभा चुनावों से ऐन पहले की गई थी। लेकिन पिछड़ा वर्ग एक जागरूक समाज है इसलिए वह उसी समय कमलनाथ की चालबाजी समझ गया था और कांग्रेस को लोकसभा में 29 में से 28 सीटों पर करारी हार झेलनी पड़ी थी। कुशवाह ने कहा कि कांग्रेस और कमलनाथ यह जानते थे और चाहते भी थे कि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के निर्णय पर कोर्ट का स्टे लग जाए। इसीलिए तो न कांग्रेस ने कोर्ट में कैविएट दायर की और न ही अपने वकीलों को निर्णय के पक्ष में न्यायालय में उतारा। कमलनाथ को पिछड़ा वर्ग के लोगों को यह बताना चाहिए कि 27 फीसदी आरक्षण के सरकार के फैसले पर जब 10 मार्च 2019 को याचिका लग गई थी, तब 10 से 19 मार्च तक उनकी सरकार ने कोर्ट में अपना एडवोकेट जनरल तक खड़ा क्यों नहीं किया? उन्होंने कहा कि कांग्रेस की जालसाजी का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि उसकी सरकार अपने विधेयक में मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 27 प्रतिशत बताती है, जबकि राज्य में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 51 प्रतिशत है। कुशवाह ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण पर रोक लगाने के खिलाफ कांग्रेस की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील तक नहीं की। इस धोखे के लिए कांग्रेस और कमलनाथ को पिछड़ा वर्ग समाज से माफी मांगना चाहिए।
कुशवाह ने कहा पिछड़ा वर्ग के कार्यक्रम में कमलनाथ ने एक और झूठ बोला कि पंचायत चुनाव प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस न्यायालय नहीं गई थी। जबकि प्रदेश का बच्चा-बच्चा यह बात जानता है कि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा से कांग्रेस ने ही न्यायालय में याचिका लगवाई थी। वास्तव में कांग्रेस नहीं चाहती कि पिछड़ा वर्ग और अन्य पीछे रह गए समाजों को राजनैतिक और आर्थिक बराबरी का अधिकार मिले। समाज को उसके हक से वंचित करने के लिए कांग्रेस ने पूरा प्लान तैयार किया था और उसी के तहत न्यायालय में याचिका लगवाई गई थी। कुशवाह ने कहा कि वास्तव में कांग्रेस के निशाने पर पंचायत चुनाव के नियम कायदे नहीं थे, बल्कि उसने तो पिछड़ा वर्ग को नीचा दिखाने के मंसूबे लेकर सारा षडयंत्र रचा था।
उन्होने ने कहा कि कांग्रेस की नीयत को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि कांग्रेस में जब भी किसी दलित, आदिवासी या पिछड़ा वर्ग के नेता का दावा मजबूत हुआ, तो पार्टी ने सुनियोजित रणनीति के तहत राजे-रजवाड़ों और उद्योगपतियों को ही वरीयता दी। फिर चाहे वे स्व. शिवभानुसिंह सोलंकी रहे हों या स्व. सुभाष यादव, कांग्रेस ने हमेशा पिछड़ों से उनका हक छीनने का काम किया।
कुशवाह ने कहा कि दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, किसानों, मजदूरों, महिलाओं और युवाओं सहित समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए भाजपा की सरकारें जो काम कर रही हैं, वैसा कांग्रेस कभी भी नहीं कर सकती और यह बात प्रदेश देश-प्रदेश की जनता भली भांति जानती है। इसलिए कमलनाथ कितने भी सम्मान समारोह करा लें, वे जनता का भरोसा कभी नहीं जीत सकते।