गौरतलब है कि 18 सितंबर को जम्मू एवं कश्मीर के उड़ी में एक सैन्य अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले के कारण पाकिस्तान और भारत के रिश्तों में खराबी आ गई. भारत ने हमले में पाकिस्तान का हाथ बताया है, जिसके बाद भारत में पाकिस्तानी कलाकारों को प्रतिबंधित करने की मांग के मद्देनजर पाकिस्तानी सिनेमाघरों ने भी भारतीय फिल्में नहीं प्रदर्शित करने का ऐलान कर दिया.
इससे पाकिस्तान के मनोरंजन उद्योग की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई. ईरानी फिल्मों के जरिए देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है. 'डॉन ऑनलाइन' के मुताबिक, पाकिस्तानी वितरकों ने फिल्मों के आयात के लिए ईरान और तुर्की से औपचारिक तौर पर संपर्क करना शुरू कर दिया है.
'पाकिस्तान नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर फोक एंड ट्रेडिशनल हेरिटेज' (लोक वर्षा) की कार्यकारी निदेशक फौजिया सईद ने इससे पहले बताया था कि ईरानी फिल्में पाकिस्तानी समाज के बेहद करीब हैं और देश के सिनेमाघरों में दिखाए जाने के लिए उपयुक्त हैं.
सईद के मुताबिक, 'ईरानी फिल्में दुनियाभर में सराही गई हैं और पाकिस्तान में उनके प्रदर्शन को प्रोत्साहित करना चाहिए.'पकिस्तान के सिनेपैक्स सिनेमा के विपणन महाप्रबंधक मोहसिन यासीन ने भी कहा कि वे सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए उपयुक्त ईरानी फिल्मों के साथ प्रयोग करना पसंद करेंगे.
पाकिस्तान इलेक्ट्रानिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पेमरा) ने भारत की तरह अक्टूबर में पाकिस्तान में प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों को सीमित कर एक निश्चित समय में दिखाना शुरू कर दिया.