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‘सुप्रीम कोर्ट से विजय माल्या को कोर्ट की अवमानना का दोषी , 10 जुलाई को पेश होने का आदेश

नई दिल्ली: बिजनेसमैन विजय माल्या को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अदालत की अवमानना के दोषी हैं। कोर्ट ने 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है, ताकि सजा की अवधि पर बहस की जा सके। कोर्ट ने उन्हें इस मामले में समन भी जारी किया है। फिलहाल माल्या लंदन में हैं, पिछले साल 2 मार्च को उन्होंने भारत छोड़ा था। उन्हें प्रत्यर्पित करने की तैयारी शुरू की जा चुकी है। 2 मई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई का चार सदस्ययी दल प्रत्यर्पण की कोशिशें तेज करने के लिए लंदन गया था। दोनों ही एजेंसियां अलग-अलग मामलों में विजय माल्या की जांच कर रही हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माल्या से पूछा था कि आपने जो कोर्ट में अपनी सम्पतियों के बारे में जानकारी दी थी वो सही है या नहीं ? क्या आपने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन तो नहीं किया ? क्योंकि कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि माल्या बिना कोर्ट के अनुमति कोई भी ट्रांजेक्शन नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि माल्या के खिलाफ कोर्ट के आदेश को कैसे लागू किया जा सकता है।

9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या के खिलाफ अदालत की अवमानना और डिएगो डील से माल्या को मिले 40 मिलियन यूएस डॉलर पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था। बैंकों ने मांग की है कि 40 मिलियन यूएस डॉलर जो डिएगो डील से मिले थे उनको सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश सरकार के यूके से प्रत्यार्पण में भी मदद करेगा।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या को वापस लाने की कोशिश की जा रही है। वहीं SBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि माल्या के ऊपर 9200 करोड़ रुपये का बकाया है। बैकों ने कहा- माल्या की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वह बार-बार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं। विजय माल्या ने कोर्ट में कहा था कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे 9200 करोड़ रुपये बैंक के कर्ज़ को अदा कर पाएं, क्योंकि उनकी सभी सम्पतियों को पहले ही जब्त कर लिया गया है।
इसलिए भगोड़ा बनने पर हुए मजबूर: विजय माल्या का नाम देश के बड़े बिजनेसमैनों में गिना जाता था। अब विजय माल्या पर बैंको का 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। कर्ज उगाही के लिए हाल ही में उनके एक बंगले की बिक्री भी हुई है। कर्ज न चुका पाने के लिए माल्या ने कहा था कि तेल के रेट बढ़ने, ज्यादा टैक्स और खराब इंजन के चलते उनकी किंगफिशर एयरलाइन्स को 6,107 करोड़ का घाटा उठाना पड़ा था। प्रीमियम सेवाओं के लिए जानी जाने वाली किंगफिशर एयरलाइंस की स्थापना वर्ष 2003 में हुई थी। इसके मालिक विजय माल्या थे।
2005 में इसका कमर्शियल ऑपरेशन शुरू हुआ। उस दौर में प्रीमियम सेवाओं में इसका कोई तोड़ नहीं था। हालांकि, कंपनी को इसके लिए भारी रकम खर्च करनी पड़ रही थी, जिससे उसे कॉस्ट निकालना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में कंपनी ने देश की एक लो कॉस्ट एविएशन कंपनी खरीदने की कोशिशें शुरू कर दीं। यह कोशिश 2007 में जाकर कामयाब हुई, लेकिन इस तरह उन्होंने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती की ओर कदम बढ़ा दिया था। माल्या ने 2007 में करीब 1200 करोड़ रुपये में एयर डेक्कन को खरीदा।
माल्या भले ही एयर डेक्कन को खरीदने में कामयाब रहे, लेकिन उनकी इसके माध्यम से किंगफिशर को मजबूती देने की रणनीति बुरी तरह फेल हो गई। बाद में माल्या ने दोनों एयरलाइंस का विलय कर दिया और फिर एयर डेक्कन का नाम बदलकर किंगफिशर रेड हो गया, जो प्रीमियम सेवाओं के साथ ही कम कीमत में भी सेवाएं देने लगी। एयर डेक्कन के संस्थापक कैप्टन गोपीनाथ ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा था कि एक ब्रांड की दोनों सेवाओं में ज्यादा अंतर भी नहीं था, और कीमत काफी कम थी। बस तभी से समस्याएं पैदा होने लगीं।
गोपीनाथ के मुताबिक, इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से किंगफिशर की दोनों सेवाओ के बीच अपने मौजूदा ग्राहकों को छीनने के लिए होड़ होने लगी। इससे किंगफिशर पर दोहरी मार पड़ी। पहली किंगफिशर के इकोनॉमी पैसेंजर्स ने किंगफिशर रेड की ओर रुख करना शुरू कर दिया, जहां सुविधाएं काफी हद तक एक जैसी थीं, लेकिन कीमत कम थी। लेकिन जब माल्या ने किंगफिशर रेड के किराये को बढ़ाने का फैसला किया तो कस्टमर इंडिगो या स्पाइसजेट जैसी कम कीमत वाली एयरलाइंस की ओर रुख करने लगे।
विलय के बाद माल्या को उम्मीद थी कि एयर डेक्कन के कस्टमर किंगफिशर की ओर रुख करेंगे, लेकिन इसका उलटा होने लगा। आखिर में एयर डेक्कन (किंगफिशर रेड) के कस्टमर दूसरी कम कीमत वाली एयरलाइंस की ओर रुख करने लगे। इस प्रकार अक्टूबर 2012 में किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो गई।

09 May, 2017

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