नई दिल्ली: सब्जियों, दालों व दुग्ध उत्पादों जैसी खाद्य वस्तुओं के सस्ता होने के कारण खुदरा मुद्रास्फीति जून महीने में 1.54 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई. इससे भारतीय रिजर्व बैंक अगले महीने दर में कटौती की सोच सकता है.मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने संवाददाताओं से कहा, 1.54 प्रतिशत का यह आंकड़ा ऐतिहासिक निचला स्तर है और यह व्यापक आर्थिक स्थिरता में मजबूती को दिखाता है.
उन्होंने कहा, ‘मामूली रूप से अलग उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (आईडब्ल्यू) के अनुसार मुद्रास्फीति का यह स्तर इससे पहले 1999 व उससे पहले अगस्त 1978 में रहा था.’ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की नवीनतम श्रृंखला जनवरी 2012 में लागू की गई.
पिछले साल जून में मुद्रास्फीति 5.77 प्रतिशत रही थी
पिछले महीने या इस साल मई में मुद्रास्फीति 2.18 प्रतिशत रही थी.वहीं पिछले साल जून में मुद्रास्फीति 5.77 प्रतिशत रही थी. केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य उत्पाद खंड की मुद्रास्फीति कुल मिलाकर और घटकर 2.12 रह गई जो कि मई में 1.05 प्रतिशत रही थी. वहीं सब्जियों की मुद्रास्फीति घटकर 16.53 प्रतिशत व दाल दलहनों की 21.92 प्रतिशत रही. प्रोटीन आधारित मांस व मछली उत्पाद इस दौरान महंगे हुए और इनकी मुद्रास्फीति जून में 3.49 प्रतिशत रही जो कि मई में 1.87 प्रतिशत थी
मासिक आधार पर फलों के दाम भी बढ़े.ईंधन व बिजली खंड में खुदरा मुद्रास्फीति जून महीने में 4.54 प्रतिशत रही जो मई में 5.46 प्रतिशत रही थी. उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है. बैंक की आगामी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा अगस्त के शुरू में आनी है.
औद्योगिक उत्पारदन में गिरावट
मई में औद्योगिक उत्पादन (IIP) की वृद्धि दर घटकर 1.7 प्रतिशत रही। पिछले साल समान महीने में यह 8 प्रतिशत पर थी। वहीं अप्रैल महीने में औद्योगिक उत्पामदन की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई थी। इसकी एक वजह सरकार द्वारा मई माह में आधार वर्ष 2004-05 से बदलकर 2011-12 करना भी है।मई में मैन्यूमफैक्चवरिंग सेक्ट र की वृद्धि दर घटकर 1.2 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 2.6 प्रतिशत थी। कंज्यूिमर ड्यूरेबल्सव की वृद्धि दर मई में गिरकर 4.5 प्रतिशत रही, जो इससे पहले माह अप्रैल में 6 प्रतिशत थी। इसी प्रकार मई माह में माइनिंग प्रोडक्शजन घटकर 0.9 प्रतिशत रहा, जो कि अप्रैल में 4.2 प्रतिशत था।
आर्थिक गतिविधियों को और अधिक सही तरीके से देखने और वास्तिविक आंकड़ों की जांच के लिए आईआईपी के आधार वर्ष में बदलाव करना बहुत जरूरी था। औद्योगिक उत्पा दन को इंडेक्सम ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्श न (IIP) के जरिये मापा जाता है और इससे देश के कारोबारी क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को आंका जाता है।
नई सिरीज में, मैन्यूीफैक्च रिंग सेक्टोर का अधिभार 75.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 77.6 प्रतिशत किया गया है। बिजली की हिस्सेदारी इंडेक्सज में 10.3 प्रतिशत से घटाकर 7.9 प्रतिशत की गई है और इसमें रिन्यूसएबल एनर्जी सोर्स के डाटा को शामिल किया गया है।
एजेंसी