Hindi News Portal
देश

सुप्रीम कोर्ट का धर्मांतरण विरोधी कानून पर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

नई दिल्ली 03 जनवरी,; सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट को सूचित किए बिना शादी करने वाले अंतर्धार्मिक जोड़ों पर मुकदमा चलाने से रोक लगाई गई थी। जस्टिस एम.आर. शाह और सी.टी. रविकुमार ने सुनवाई के दौरान कहा कि सभी धर्मांतरण को अवैध नहीं कहा जा सकता है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई सात फरवरी को निर्धारित की।
राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर अवैध धर्मांतरण के लिए शादी का इस्तेमाल किया जाता है, तो वह आंख नहीं मूंद सकती है और कहा कि शादी या धर्मांतरण पर कोई रोक नहीं है, लेकिन इसके लिए केवल जिलाधिकारी को सूचित करना आवश्यक है।
मेहता ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की, हालांकि शीर्ष अदालत ने कोई निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया।
राज्य सरकार ने अपनी दलील में तर्क दिया कि उच्च न्यायालय के आदेश ने धारा 10 (1) को मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 की धारा 10 (2) के साथ मिला दिया है। इसमें आगे कहा गया है कि जो प्रावधान धर्मांतरण के इच्छुक नागरिक पर लागू होता है, वह धारा 10(1) है और इस प्रावधान के उल्लंघन का कोई दंडात्मक परिणाम नहीं है और कोई मुकदमा नहीं चलाया जाता है।
राज्य सरकार ने कहा कि यह धारा 10 (2) है, जिसके दंडात्मक परिणाम हैं, जो एक पुजारी या व्यक्ति पर लागू होता है, जो सामूहिक धर्मांतरण द्वारा दूसरों को धर्मांतरित करना चाहता है। इसमें कहा गया है कि धारा 10 (2) की वैधता को किसी भी मौलिक अधिकार के उल्लंघन के रूप में नहीं परखा जा सकता, क्योंकि दूसरों को परिवर्तित करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने नवंबर 2022 में अपने फैसले में, राज्य सरकार को वयस्क नागरिकों पर मुकदमा चलाने से रोक दिया था, अगर वे अपनी इच्छा से विवाह करते हैं और मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम (एमपीएफआरए), 2021 की धारा 10 का उल्लंघन करते हैं। प्रावधान के अनुसार धर्मांतरण करने का इरादा रखने वाले व्यक्तियों और धर्मांतरण करने वाले पुजारी को अपने इरादे के बारे में 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होगा। उच्च न्यायालय ने अधिनियम की धारा 10 को प्रथम ²ष्टया असंवैधानिक पाया था। उच्च न्यायालय ने कहा था, अगले आदेश तक प्रतिवादी वयस्क नागरिकों पर मुकदमा नहीं चलाएगा, यदि वे अपनी इच्छा से विवाह करते हैं और अधिनियम 21 की धारा 10 के उल्लंघन के लिए कठोर कार्रवाई नहीं करेंगे।
00

03 January, 2023

सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड घोटाले की एसआईटी से जांच कराने की मांग को लेकर याचिका दायर
दावा किया गया है कि कई कंपनियां जो इन एजेंसियों की जांच के दायरे में थीं,
आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामले में NIA का बड़ा एक्शन, श्रीनगर में 9 जगहों पर छापेमारी
पाक कनेक्शन का पता लगाने के लिए छापेमारी की
अरविंद केजरीवाल को झटका, जमानत के लिए लगी याचिका खारिज,
याचिकाकर्ता पर 75 हजार रुपए जुर्माना लगा
सुप्रीम कोर्ट से बाबा रामदेव को फिर झटका, योग शिविर के लिए सर्विस टैक्स चुकाना होगा
ट्रस्ट ने शिविर में प्रवेश शुल्क दान के रूप में एकत्र किया।
चुनाव के दौरान यात्राओं की अनुमति पर तीन दिन के भीतर फैसला लें : सुप्रीम कोर्ट
चुनाव अधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना जुलूस या सार्वजनिक बैठक का आयोजन नहीं कर सकेगा