Hindi News Portal
धर्म

देवउठनी एकादशी पर तुलसी-शालिग्राम का विवाह से शुरू होते है सारे शुभ काम और,2 दिन है एकादशी, जानिए महत्व

हिंदू मान्यता के अनुसार दिवाली के बाद आने वाली एकादशी पर देव उठ जाते हैं। इसे देवउठनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी में भगवान विष्णु नींद से जाग जाते हैं और सभी शुभ कार्य जो अब तक रुके हुए होते हैं, वे शुरू किए जा सकते हैं। इस बार 10 और 11 नवंबर दो दिन एकादशी है। इस एकादशी पर तुलसी का विवाह होता है। ऐसा माना जाता है कि ये अच्छा योग होता है, विवाहों में जो भी अर्चनें होती हैं, वो दूर हो जाती हैं और विवाह के लिए अच्छा योग बन जाता है।
ज्योतिषाचार्या के अनुसार इस बार देवोत्थान एकादशी तिथि 10 और 11 नवंबर दो दिन होगी। 10 नवंबर गुरुवार को 11 बजकर 21 मिनट से एकादशी तिथि शुरू होगी, जो अगले दिन 11 नवंबर शुक्रवार को सुबह 9 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। ऐसे में देवोत्थान एकादशी का प्रभाव तो दोनों ही दिन रहेगा, लेकिन 10 नवंबर का मंगल कार्यों और स्वयं सिद्ध मुहूर्त के लिए ज्यादा महत्व है। सूर्योदयकालीन एकादशी 11 नवंबर को होने के कारण तुलसी विवाह के लिए यह दिन श्रेष्ठ है।
तुलसी का पौधा वैसे भी आपके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है और पूजन में तुलसी का इस्तेमाल काफी शुभ होता है। इस दिन यह संदेश भी दिया जाता है कि औषधीय पौधे तुलसी की तरह सभी के जीवन में हरियाली और ताजगी लौटे।
इस एकादशी पर तुलसी विवाह का सबसे ज्यादा महत्व होता है। दरअसल, इस एकादशी पर कहा जाता है कि देव अपने दरवाजे खोल देते हैं। देवउठनी एकादश को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है।
इस एकादशी से कई तरह की धार्मिक परंपराएं जुड़ी हैं। ऐसी ही एक परंपरा है तुलसी-शालिग्राम विवाह की। शालिग्राम को भगवान विष्णु का ही एक स्वरुप माना जाता है। तुलसी विवाह में तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति या शालिग्राम पाषाण का पूर्ण वैदिक रूप से विवाह कराया जाता है। पुराणों में तुलसी जी को विष्णु प्रिया या हरि प्रिया कहा जाता है। विष्णु जी की पूजा में तुलसी की भूमिका होती है।
जो व्यक्ति तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह करवाता है उनके दांपत्य जीवन में आपसी सद्भाव बना रहता है और मृत्यु के बाद उत्तम लोक में स्थान मिलता है। इस दिन शालिग्राम और तुलसी जी का विवाह कराकर पुण्यात्मा लोग कन्या दान का फल प्राप्त करते है।
जो इनका विवाह कराते हैं वो व्रत रखते हैं। शाम को तुलसी के पौधे को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और फिर शालिग्राम के साथ तुलसी के पौधे को परिणय बंधन में बांधा जाता है। शाम के समय सारा परिवार इसी तरह तैयार हो जैसे विवाह समारोह के लिए होते हैं। तुलसी का पौधा एक चोकी पर आंगन, छत या पूजा घर में बिलकुल बीच में रखें। एक विवाह में जिन चीजों का इस्तेमाल होता है, वो सारी चीजें, महंदी,मोली, रोली,धागा, फूल, चंदन, चावल, मिठाई, शगुन की हर चीज पूजन सामग्री के रूप में रखी जाती है। इस दिन किसी भी मंगल या शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए इस दिन को विवाह, सगाई, नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदारी, व्यापार या नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ माना गया है।

10 November, 2016

चारधाम यात्रा के लिए एक हफ्ते में 12.48 लाख श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन कराकर रिकार्ड बनाया
पिछले साल एक सप्ताह में लगभग चार लाख यात्रियों ने पंजीकरण कराया था
अयोध्या मै रामलला का सूर्य तिलक हुआ, मस्तक पर सूरज की रोशनी चमकती रही आस्था का जनसैलाब उमडा ;
मंदिर परिसर श्रीराम के नारे के उद्घोष से गूंज उठा
अयोध्या धाम में रामनवमी पर्व को लेकर सुरक्षा के कड़े प्रबंध
रामनवमी मेला का 9 अप्रैल से शुभारंभ हो चुका है, 17 अप्रैल रामनवमी तक रहने वाला है।
52 दिन चलने वाली अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होगी
15 अप्रैल से देशभर में अधिकृत बैंक शाखाओं में एडवांस बुकिंग प्रक्रिया शुरू होगी.
आज आपका दिन कैसा रहेगा राशिफल के अनुसार ,जाने
आज चैत्र कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि और गुरुवार का दिन 04-04-24 तारीख है।