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हिंदुस्तान मोटर्स की एंबेसडर कार का 80 करोड़ रुपये में सौदा हुआ ..

कभी कद्दावर शख्सियतों और राजनीतिक गलियारों की सवारी रही एंबेसडर ब्रांड को हिंदुस्तान मोटर्स ने बेच दिया है. यूरोपीय वाहन कंपनी प्यूजो ने एंबेसडर ब्रांड को 80 करोड़ रुपए में खरीदा है.
यह ब्रांड सत्ता के गलियारे में अपनी पहचान रखता है. सीके बिड़ला समूह की कंपनी (हिंदुस्तान मोटर्स) ने इस बारे में प्यूजो एसए के साथ करार किया है. फिलहाल, एंबेसडर कारों का विनिर्माण रोक दिया गया है.
हिंदुस्तान मोटर्स ने शनिवार को शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा, ‘हिंदुस्तान मोटर्स ने एंबेसडर ब्रांड की बिक्री के लिए प्यूजो एसए से करार किया है. इसमें ट्रेडमार्क भी शामिल है. यह सौदा 80 करोड़ रुपए में हुआ है.’
पिछले महीने प्यूजो एसए ने भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए सीके बिड़ला समूह के साथ डील की थी. इसके तहत, शुरुआत में करीब 700 करोड़ रुपए का निवेश किया जाना है. इस रकम से तमिलनाडु में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया जाएगा. इस प्लांट में हर साल 1 लाख वाहन बनाने की तैयारी है.
दरअसल, पहली पारी में प्यूजो ने भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए प्रीमियर ग्रुप के पार्टनरशिप की थी. उस दौरान प्यूजो का एक विज्ञापन काफी चर्चित और हिट हुआ था. उस विज्ञापन का मुखड़ा था- तेरा हुस्न बहुत मुझे भाता है, तेरे संग नाचूं जी चाहता है... इस एड को डच म्यूजिशियन नेल्स जुडेरहोक और जेरोन डेन हेंगसेट ने कंपोज किया था.
हालांकि, पहली पारी में प्यूजो का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. कंपनी पार्टनर के साथ मतभेद, कैश किल्लत और नुकसान को लेकर उलझी रही. ऐसे में कंपनी को यहां से बोरिया बिस्तर समेटना पड़ा.
दरअसल, पीएसए समूह तीन ब्रांड प्यूजो, सिट्रॉन और डीएस के जरिए वाहन बेचता है. यह समूह पहले प्रीमियर ग्रुप के साथ भारत में साझेदारी की नाकाम कोशिश कर चुका है. साल 2001 में दोनों कंपनियों का ज्वाइंट वेंचर प्यूजो पीएएल खत्म हो गया था.
प्यूजो एसए और सीके बिड़ला समूह मिलकर इंडियन ऑटो मार्केंट में अपनी दबदबा बनाना चाहते हैं. अनुमान है कि साल 2025 तक भारत में 80 लाख से एक करोड़ कार बनने लगेंगे. साल 2016 में यह आंकड़ा 30 लाख के करीब है.
एंबेसडर का सुहाना सफर
करीब 50 साल तक एंबेसडर कार का भारतीय बाजार में अगल ही रूतबा रहा. इस कार पर प्रधानमंत्री से लेकर आम लोगों ने शान से सवारी की. सीके बिरला के दादा बीएम बिरला ने हिंदुस्तान मोटर्स की नींव साल 1942 में रखी थी और इसी कंपनी में एंबेसडर कार बननी शुरू हुई.
आजादी के बाद जब कंपनी ने एंबेसडर कार बनानी शुरू की तो इसके टूल और दूसरे कल-पुर्जे इंग्लैंड से मंगाए जाते थे. बाद में कंपनी अन्य सामानों के लिए खुद पर भी निर्भर हो गई. शुरुआत से ही एंबेसडर कार में सफर रूतबा महसूस कराता था. करीब 40 साल तक इस कार का इंडियन ऑटो मार्केट में दबदबा रहा.
बाजार में अन्य कारों की लॉन्चिंग से एंबेसडर का दबदबा घटने लगा. 2014 में एंबेसडर को पश्चिम बंगाल केक उत्तरपारा प्लांट बंद करनी पड़ी. यहां 66 साल से कार का प्रोडक्शन हो रहा था. और अब जाकर एंबेसडर ब्रांड हिंदुस्तान मोटर्स को दूसरे कंपनी को देना पड़ा.


सौजन्य; हिंदी.न्यूज़18.कॉम /

11 February, 2017

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