Hindi News Portal
व्यापार

अब बाज़ार में आया 'दलित फूड्स'

दलित चिंतक चंद्रभान प्रसाद ने 'दलित फूड्स' के नाम से खाद्य उत्पादों की एक सिरीज़ शुरू की है. इस सिरीज़ के तहत आम का आचार, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, मिर्च पाउडर जैसे उत्पाद ऑन लाइन बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. चंद्रभान के मुताबिक फिलहाल उनके उत्पाद ई-कॉमर्स के लिए उपलब्ध हैं. इसके लिए उन्होंने दलित फूड्स डॉट कॉम और दलितशॉप डॉटकॉम नाम से दो वेबसाइट शुरू की हैं. चंद्रभान प्रसाद ने कहा, "अमरीकी यूनिवर्सिटी के एक शोध अध्ययन के दौरान मुझे 2008 में दलितों की बस्ती में रहने का मौका मिला. जहां 90 साल और उससे भी ज़्यादा उम्र के दलित मिले. ये अचरज भरा था क्योंकि दलितों की औसत उम्र आम भारतीयों से कम होती है. फिर मैंने उन लोगों से बातचीत की. उनके खान-पान के बारे में जानने की कोशिश की." "दरअसल दलितों का समाज गांव से बाहर होता था. उनके पास साधन नहीं थे, ऐसे में उन लोगों के 90-100 साल तक जीवित होने पर अचरज ही था. लेकिन वे लोग बताते थे कि बाजरे की रोटी खाते थे, ज्वार खाते थे. जब गेहूं की रोटी पहली बार उन लोगों ने खाई तो उनका पेट ख़राब हो गया." ऐसे लोगों से बातचीत के करीब आठ साल बाद चंद्रभान प्रसाद ने पांच लाख रूपये के निवेश के साथ दलित फूड्स नामक ब्राण्ड की शुरुआत की है.लेकिन इन उत्पादों को भारतीय बाज़ार में बेचना, वो भी दलित नाम के ठप्पे के साथ कितना कारगर होगा? इस पर चंद्रभान प्रसाद कहते हैं, "जो आजकल हेल्दी डायट है, वो एक-दो पीढ़ी पहले तक दलितों का मुख्य भोजन हुआ करता था. आज डायबिटीज़ और हृदय रोग के मरीज जो जौ और बाजरा खा रहे हैं, वही दलितों का मुख्य भोजन था." लेकिन क्या इसको सामाजिक मान्यता मिल पाएगी, इस बारे में चंद्रभान कहते हैं, "देखिए हमारा उद्देश्य शहर के उन लोगों तक पहुंचना है, जो दलितों का उत्थान चाहते हैं. उनके हुनर और काम को बढ़ाना चाहते हैं. ऐसे लोग समाज में हैं और वे बाज़ार में भी हैं." हालांकि चंद्रभान ये मानते हैं कि इससे सामाजिक बदलाव का संदेश भी फैलेगा. वे कहते हैं, "जब दलितों के बनाए उत्पाद का इस्तेमाल सवर्ण करेंगे तो सोचिए ये कितना बड़ा बदलाव होगा. हमने अपने जीवन में अलग पांत में बैठकर खाना खाया है, सवर्ण हमारा बर्तन तक नहीं छूते थे. ऐसे में हमारे बनाए उत्पाद का वे इस्तेमाल करेंगे, तो यह आज़ादी मिलने जैसा ही सुख होगा." चंद्रभान प्रसाद के दलित फूड्स साइट पर वही उत्पाद मिलेंगे जो उनके यूनिट में तैयार हो रहे हैं. वहीं दलित शॉप में कोई भी दूसरा दलित अपना उत्पाद बेच सकता है. यानि एक तरह से दलितों को ई-कॉमर्स की दुनिया में एक तरह का मंच मिलेगा.
अपने उत्पादों के बारे में चंद्रभान प्रसाद बताते हैं, "हमने ख़ास हल्दी का इस्तेमाल किया है, जो महाराष्ट्र के सूखे से प्रभावित इलाके वर्धा के दलित किसान के खेत में पैदा हुई है. धनिया बुंदेलखंड से मंगाया है. लाल मिर्च हम राजस्थान के माथानिया से मंगा रहे हैं." अपने उत्पादों की तारीफ़ में चंद्रभान प्रसाद कहते हैं, "हमने जो आचार बनाया है उसमें एसिड का कोई इस्तेमाल नहीं किया है. हमने उन लोगों का ध्यान रखा है जो केवल मोटी रोटी और आचार के साथ खाना खाते हैं." चंद्रभान प्रसाद की छवि दलित चिंतक की रही है. साथ ही वे दलितों को कारोबार की दुनिया से जोड़ने की मुहिम भी चलाते रहे हैं. बहरहाल चंद्रभान दावा करते हैं, "दलित फूड्स खाने वाले सौ साल तक स्वस्थ रह पाएंगे." लेकिन "हमारी मुहिम से गैर दलित भी जुड़ सकते हैं, हम उनका स्वागत करेंगे. अभियान के शुरुआती दौर में ही एक सवर्ण साझेदार हमसे जुड़े हुए हैं."

02 July, 2016

एचडीएफसी बैंक का शुद्ध मुनाफा 34% बढ़ा, ब्याज से होने वाली आमदनी में 24.5% का इजाफा
पहले वित्तीय वर्ष 2023 में 19 रुपए का लाभांश दिया था।
IBFAN की जांच से बड़ा खुलासा नेस्ले कम्पनी भारत में बेचे जाने वाले शिशु आहार में चीनी अधिक मिलाती है
यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और अन्य देशों में ऐसे प्रोडक्ट चीनी-मुक्त हैं।
समोसे में कंडोम, पत्थर और तंबाकू निकले .. कर्मचारियों के उड़े होश;
वजह जानकर माथा पकड़ लेंगे आप
माफी मांगने पहुंचे बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, आपने हर सीमा लांघ दी
अदालत ने कहा कि एक हफ्ते में जवाब दाखिल कीजिए।
भारत की ऑटो इंडस्ट्री अगले 5 साल में दुनिया में नंबर 1 होगी: केंद्रीय मंत्री गडकरी
“हम अपने काम के दम पर लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।”