ग्वालियर,12 मई ; मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के नाम पर दो बड़े प्रोजेक्ट राजनीति में फंस गए हैं। दोनों प्रोजेक्ट, केंद्रीय मंत्री सिंधिया के लिए पिता का नाम जुड़ा होने से महत्वाकांक्षी हैं। ग्वालियर-चंबल अंचल में 6600 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना मंत्रालय में फाइलों मं अटकी है। सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री ढाई साल से पहले चरण की दो हजार करोड़ की डीपीआर स्वीकृत कराने के प्रयास में लगे हैं। दूसरा माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने का मामला भी भोपाल में अटका है। यह सिंधिया का ड्रीम प्रोजेक्ट है, लेकिन गांवों के विस्थापन का बहाना लेकर इसे भी रोका गया है।
ग्वालियर-चंबल अंचल के पांच जिलों शिवपुरी, श्योपुर, ग्वालियर, मुरैना और गुना के लिए बड़ी सिंचाई परियोजना है। इस परियोजना से पांचों जिलों में दो लाख हेक्टेयर में सिंचाई और पीने का पानी मिलना है। इसमें 800 गांवों को लाभ मिलेगा। परियोजना में पोहरी-श्योपुर मुख्य मार्ग के ऊपर कटीला पर 360 एमसीएम जल भण्डारित क्षमता का बैराज-बांध प्रस्तावित है। मप्र-राजस्थान सीमा पर तीन फीडर जलाश प्रस्तावित हैं। पहले चरण में दो हजार करोड़ रुपये की डीपीआर की फाइल मंत्रालय में अटकी है।
शिवपुरी में माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने सिंधिया की पहल के बाद ही पार्क में तीन टाइगर को शिफ्ट किया गया। शिफ्टिंग के दौरान पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने की घोषणा कर चुके हैं। फिलहाल इसे भी भोपाल से हरी झंडी नहीं मिली है।
पिता का नाम जुड़े होने और चुनावी क्षेत्र होने से ज्योतिरादित्य सिंधिया का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसके लिए पार्क की सीमा पर बसे गांवों के विस्थापन की वजह बताकर टाला है। बताते हैं कि बैठक में अफसरों ने टाइगर रिजर्व बनाने के लिए एक दर्जन गांवों के विस्थापन का खाका भी रखा था, लेकिन सूत्र बताते हैं कि स्थानीय राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई है।