भोपाल : प्रदेश के सभी सरकारी और अनुदान प्राप्त प्राथमिक तथा माध्यमिक स्कूलों में शाला प्रबंधन समितियों का गठन एक जुलाई को किया जायेगा। जिन स्कूलों में एक जुलाई को समितियों का गठन नहीं हो पायेगा, उन स्कूलों में 3 जुलाई तक अनिवार्य रूप से शाला प्रबंधन समितियों का गठन किया जायेगा। इस संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र के निर्देश पर सभी जिलों में आवश्यक तैयारियाँ कर ली गयी हैं। शाला शिक्षकों को प्रशिक्षण के साथ शालावार पर्यवेक्षक भी नियुक्त किये गये हैं।
शिक्षा के अधिकार कानून के अंतर्गत सभी सरकारी प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों के बेहतर प्रबंधन और शैक्षिक गतिविधियों के क्रियान्वयन के लिये शाला प्रबंधन समितियों का गठन किया जा रहा है। यह समितियाँ बच्चों के शाला नामांकन, नियमित उपस्थिति, गुणवत्तायुक्त शिक्षा और अधोसंरचना कार्यों के साथ बच्चों के बहु-आयामी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। समितियों में शाला में अध्ययनरत बच्चों के पालक, शाला के प्रधान शिक्षक, वरिष्ठतम महिला शिक्षिका तथा स्थानीय वार्ड के पंच, पार्षद, स्थानीय निकाय के सरपंच द्वारा नामित अन्य वार्ड की एक महिला पंच जन-प्रतिनिधि के रूप में शामिल रहते हैं। समिति को स्कूलों के स्थानीय प्रबंधन के अधिकार भी सौंपे गये हैं। प्राथमिक स्कूलों में 18 सदस्यीय एवं माध्यमिक स्कूलों में 16 सदस्यीय शाला प्रबंधन समिति गठित करने के निर्देश दिये गये हैं।
प्रदेश में करीब एक लाख 14 हजार से अधिक प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में इन समितियों का गठन आगामी 2 वर्ष के कार्यकाल के लिये किया जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने सरकारी एवं अनुदान प्राप्त स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के पालकों एवं अभिभावकों से एक जुलाई को स्कूल पहुँचकर शाला प्रबंधन समिति से जुड़ने और शालाओं के विकास कार्यों में सहभागी बनने का आग्रह किया है।