इंदौर,२२ अप्रैल हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को अभिशाप करार दिया है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की सिंगल बेंच ने महिला से बार-बार बलात्कार, जबरन गर्भपात कराने, धमकी देने के मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। जस्टिस अभ्यंकर ने कहा कि इससे यौन अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है और सामाजिक विकृतियां फैल रही हैं। एकल पीठ ने २५ वर्षीय आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। माले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी की है। यौन अपराधों में हो रही वृद्धि को देखते हुए कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को अभिशाप करार दिया। कोर्ट ने कहा कि लिव-इन संबंधों का ये अभिशाप नागरिकों के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का वाई-प्रोडक्ट है, जिससे यौन अपराधों में इजाफा हो रहा है। अदालत ने कहा कि, जो लोग लिव-इन की इस आजादी का शोषण करना चाहते हैं, वे इसे तुरंत अपनाते हैं, लेकिन वे इस बात से पूरी तरह अनजान हैं कि इिसकी सीमाएं हैं। २५ वर्षीय आरोपी और पीडि़त महिला काफी समय तक लिव-इनम ें रहे। महिला का आरोप है कि आरोपी के दबाव में दो बार गर्भपात कराया। जब महिला ने किसी और व्यक्ति से सगाई कर ली तो दोनों के संबंध बिगड़े। आरोप है कि लिव-इन पार्टनर ने महिला के ससुराल पक्ष को वीडियो भेजकर धमकाया कि महिला से शादी की तो वह आत्महत्या कर लेगा। महिला के वकील ने अदालत को बताया कि इससे उसकी सगाई टूट गई।