रायपुर, 02 जून ; गुलाम भारत में अंग्रेजों के समय जिले की सबसे छोटी इकाई के रूप में पदस्थ कोटवार सौ वर्षों से भी अधिक समय ग्रामों के संबंध में सर्व जानकारी जिला प्रशासन को देते रहे हैं बावजूद इसके कोटवार संघ के सदस्यों को आज अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर मोर्चा निकालना पड़ रहा है । प्रदेश में 16 हजार से भी अधिक कोटवार शासन द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं यथा सेवानिवृत्ति के बाद कोटवार के पुत्र को नियुक्ति भूमि आबंटन प्रति माह पारिश्रमिक भुगतान वर्दी के कपड़े एवं सिलाई तथा तहसील थाने में हाजिरी देने के बहाने बेगारी कराने आदि की स्थिति में फंसकर मूल सुविधाओं से वंचित है। कोटवारों का प्रशासन में पटवारी हल्के के रिकार्ड गांव में होने वाली घटनाओं एवं अन्य मामलों में अहम भूमिका रही है। शासन द्वारा मात्र 2250 -4500 रुपये के मानदेय पर महंगाई के समय में आजीविका चलाना कठिन हो गया है। शासन द्वारा उक्त मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री राजस्व मंत्री एवं मुख्य सचिव को अनेकोंबार अवगत कराया गया है। बावजूद इसके मांगें पूर्ण नहीं हुई है। शासन द्वारा कोटवारों की मांगों के संबंध में स्पष्ट निर्णय नहीं लेने की दशा में कोटवार संघ रणनीति बनाकर जुलाई में प्रदेश स्तर पर धरना प्रदर्शन करेगा। उक्त जानकारी प्रेस क्लब रायपुर में आयोजित पत्रकारवार्ता में संघ के प्रांताध्यक्ष प्रेम किशोर बाघ ने दी।
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