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आतंकवाद विश्व शांति के लिये सबसे बड़ा नासूर : अमित शाह

नई दिल्ली ;। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीसरे "नो मनी फॉर टेरर" मंत्रिस्तरीय सम्मेलन कहा कि इस दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान दुनियाभर के देशों से आए प्रतिनिधियों ने टेरर फाइनेंसिंग में उभरते ट्रेंड्स, नई इमर्जिंग फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज का दुरूपयोग और टेरर फाइनेंसिंग के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर विचार-विमर्श किया ताकि प्रभावी रूप से ‘नो मनी फॉर टेरर’ का हमारा उद्देश्य सफल हो सके।
अमित शाह ने कहा कि सहभागी देशों और संगठनों के लिए “कॉम्बैटिंग दी फाइनेंसिंग ऑफ़ टेररिज्म“ की वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की प्रभावशीलता तथा उभरती चुनौतियों के समाधान पर विचार-विमर्श करने के लिए यह सम्मेलन एक अनूठा मंच है। शाह ने कहा कि टेररिज्म ने एक ऐसा विकराल रूप धारण किया है जिसका प्रभाव हर स्तर पर दिखता है। उन्होंने कहा कि “टेररिज्म लोकतंत्र, मानवाधिकार, आर्थिक प्रगति तथा विश्व शांति के खिलाफ सबसे बड़ा नासूर है, जिसे हमें जीतने नहीं देना है”। उन्होंने कहा कि कोई भी एक देश या संगठन, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, टेररिज्म को अकेला नहीं हरा सकता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लगातार इस जटिल और बॉर्डर-लेस खतरे के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा।
अमित शाह ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारत ने टेररिज्म के सभी रूपों सहित कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। उन्होंने कहा कि टेररिज्म के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति, काउंटर-टेरर कानूनों के मजबूत फ्रेमवर्क तथा एजेंसियों के सशक्तिकरण के कारण भारत में टेररिज्म से होने वाली घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है तथा टेररिज्म के मामलों में सख्त सजा दिलाने में सफलता हासिल की गई है।
शाह ने यह भी कहा कि इन्वेस्टीगेशन को विज्ञान और तकनीक से लैस करने के उद्देश्य से फॉरेंसिक साइंस को बढ़ावा दिया जा रहा है और इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना से दुनिया के पहले राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है।
शाह ने बताया कि भारत सरकार ने यह भी तय किया है कि टेररिज्म, नारकोटिक्स और आर्थिक अपराध जैसे अपराधों पर राष्ट्री य और अंतर्राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध का व्यापक तरीके से मुकाबला करने के लिए भारत सरकार ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की स्थापना की है। अमित शाह ने कहा कि हम टेररिज्म के सभी रूपों के खिलाफ एक प्रभावी, दीर्घकालिक और ठोस लड़ाई के बिना भय-मुक्त समाज और भय-मुक्त दुनिया के बारे में नहीं सोच सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रों के नागरिकों ने नेतृत्व के ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
शाह ने कहा कि पिछले दो दशकों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस खतरे से निपटने के लिए एक ढाँचा विकसित किया है जिसका मुख्य उद्देश्य “काउंटर-टेररिज्म सैंक्शन व्यवस्था” खड़ी करना है और टेररिज्म को स्टेट-फंडेड इंटरप्राइज बनाने वाले देशों की कार्रवाईयों पर कुछ हद तक अंकुश लगाने का काम यूनाइटेड नेशन्स द्वारा स्थापित इस व्यवस्था ने सफलता से किया है, लेकिन इसे और कठोर, पारदर्शी और सटीक बनाना है।
अमित शाह ने कहा कि हमारी सबसे पहली प्रतिबद्धता ट्रांसपेरेंसी के साथ कोऑपरेशन की होनी चाहिए और सभी देशों और संगठनों को बेहतर और प्रभावी तरीके से इंटेलिजेंस साझा करने में पूरी तरह से ट्रांसपेरेंसी का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि हमें टेररिज्म और टेररिस्ट गुटों के खिलाफ इस लड़ाई को प्रत्येक भौगौलिक और वर्चुअल क्षेत्र में लड़ना होगा।
शाह ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने हैं, जहाँ अन्य मकसदों की आड़ में कुछ संगठन, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और रेडिकलाइजेशन को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह भी देखा गया है कि यह संगठन, आतंकवाद को फाइनेंस करने के चैनल भी बनते हैं। शाह ने बताया कि अभी हाल ही में भारत सरकार ने सामाजिक गतिविधियों की आड़ में युवाओं को रेडिकलाइज करके उन्हें आतंक की ओर धकेलने की साजिश करने वाली एक संस्था को बैन करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश को ऐसी संस्थाओं को चिन्हित करके उनके विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए।

20 November, 2022

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