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सिंधु समझौता तोड़ा तो चीन भी ऐसा कर सकता है'

पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते को भारत की ओर से तोड़े जाने की संभावना पर भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर के कुछ हलकों में ज़बरदस्त प्रतिक्रिया है.जम्मू-कश्मीर के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना था कि यदि भारत संधि तोड़ता है तो जम्मू-कश्मीर में स्थिति बदतर होगी, लोगों में गुस्सा बढ़ेगा और हालात फिर ख़राब हो सकते हैं.गलवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई जिसमें नदी जल समझौते पर चर्चा की गई और इस मुद्दे पर संभावनाओं के बारे में विचार किया गया.
जल संसाधन मंत्री सैफ़ुद्दीन सोज़ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, "यदि भारत ने सिंधु नदी का पानी रोका तो इसी तरह का काम चीन भी कर सकता है. चीन ब्रह्मपुत्र और सतलज नदियों का पानी रोक सकता है."
उन्होंने आगे कहा- "यदि सतलज का पानी रोका गया तो भाखड़ा बराज सूख जाएगा, पन बिजलीघर बंद हो जाएंगे. दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब के तमाम इलाक़े अंधेरे में डूब जाएंगे. दिल्ली को छठी का दूध याद आ जाएगा."
वर्ष 1960 के सिंधु जल समझौते के तहत क्षेत्र की तीन नदियों के पानी पर भारत का नियंत्रण होगा, जबकि तीन नदियों- सिंधु, झेलम और चेनाब के बहाव पर पाकिस्तान का नियंत्रण होगा. ये नदियों का पानी प्राकृतिक रूप से पाकिस्तान की ओर ही बहता है.
लेखक और विश्लेषक पीजी रसूल ने बताया की , "जहां तक भौगोलिक हक़ीकत है, इन नदियों को पाकिस्तान से गुजरना ही है. सिंधु जल समझौते में इस सच्चाई को स्वीकार किया गया है. यह पाकिस्तान के साथ कोई छूट की बात नहीं है."
दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह पहले ही इस समझौते को नहीं मानने की गुजारिश केंद्र सरकार से कर चुके हैं. निर्मल सिंह का दावा है कि सिंधु जल समझौते की वजह से उनके राज्य को सालाना 6,500 करोड़ रुपए का नुक़सान होता है.

पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते को भारत की ओर से तोड़े जाने की संभावना पर भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर के कुछ हलकों में ज़बरदस्त प्रतिक्रिया है.
जम्मू-कश्मीर के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना था कि यदि भारत संधि तोड़ता है तो जम्मू-कश्मीर में स्थिति बदतर होगी, लोगों में गुस्सा बढ़ेगा और हालात फिर ख़राब हो सकते हैं.गलवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई जिसमें नदी जल समझौते पर चर्चा की गई और इस मुद्दे पर संभावनाओं के बारे में विचार किया गया.
जल संसाधन मंत्री सैफ़ुद्दीन सोज़ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, "यदि भारत ने सिंधु नदी का पानी रोका तो इसी तरह का काम चीन भी कर सकता है. चीन ब्रह्मपुत्र और सतलज नदियों का पानी रोक सकता है."
उन्होंने आगे कहा- "यदि सतलज का पानी रोका गया तो भाखड़ा बराज सूख जाएगा, पन बिजलीघर बंद हो जाएंगे. दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब के तमाम इलाक़े अंधेरे में डूब जाएंगे. दिल्ली को छठी का दूध याद आ जाएगा."
वर्ष 1960 के सिंधु जल समझौते के तहत क्षेत्र की तीन नदियों के पानी पर भारत का नियंत्रण होगा, जबकि तीन नदियों- सिंधु, झेलम और चेनाब के बहाव पर पाकिस्तान का नियंत्रण होगा. ये नदियों का पानी प्राकृतिक रूप से पाकिस्तान की ओर ही बहता है.
लेखक और विश्लेषक पीजी रसूल ने बताया की , "जहां तक भौगोलिक हक़ीकत है, इन नदियों को पाकिस्तान से गुजरना ही है. सिंधु जल समझौते में इस सच्चाई को स्वीकार किया गया है. यह पाकिस्तान के साथ कोई छूट की बात नहीं है."
दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह पहले ही इस समझौते को नहीं मानने की गुजारिश केंद्र सरकार से कर चुके हैं. निर्मल सिंह का दावा है कि सिंधु जल समझौते की वजह से उनके राज्य को सालाना 6,500 करोड़ रुपए का नुक़सान होता है.

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29 September, 2016

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