हैदराबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में स्टेच्यू ऑफ इक्वेलिटी का अनावरण करते हुऐ कहा है कि विकास और सामाजिक न्याय समाज के हर वर्ग तक बिना किसी भेदभाव के पहुंचना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जिन्हें पीढ़ियों से पीडित किया जाता रहा है उन्हें भी विकास में भागीदार बनाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत मै इसके बदलने के लिए प्रयास किये जा रहै है । श्री मोदी ने कहा कि यह प्रतिमा भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती है और भारतीय दर्शन को मजबूत करती है।
216 फुट ऊंची यह प्रतिमा 11वीं शताब्दी के भक्ति संत रामानुजाचार्य की है जिन्होंने धर्म, जाति और नस्ल सहित, जीवन के सभी पक्षों में समानता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने संत श्री रामानुजाचार्य के स्हस्त्राब्दि समारोहों के सिलसिले में उनकी इस अनूठी प्रतिमा का अनावरण किया। यह प्रतिमा पांच धातुओं-सोना, चांदी, तांबा, कास्य और जिंक से बनी है। यह बैठने की मुद्रा में विश्व में धातु की सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक है।
रामाजुचार्य स्वामी का जन्म 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदुर में हुआ था। मूर्ति और मंदिर परिसर की पूरी परिकल्पना त्रिदंडी श्री चिन्ना जीयर स्वामी ने की है। वैष्णव समाज के प्रमुख संतों में उनका नाम लिया जाता है। 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने विद्वान यादव प्रकाश को कांची में अपना गुरु बनाया था। उनके परदादा अलवंडारू श्रीरंगम वैष्णव मठ के पुजारी थे।