बिहार के बहुचर्चित सेनारी नरसंहार में जहानाबाद न्यायालय ने दस दोषियों को फांसी और तीन लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है. जिन तीन लोगों को आजीवन कारावास मिला है उन पर अदालत ने एक-एक लाख का जुर्माना भी लगाया है. 18 मार्च, 1999 की रात हुए इस नरसंहार में जहानाबाद ज़िले के सेनारी गांव में एक ख़ास अगड़ी जाति के 34 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी. उस समय इस नरसंहार में प्रतिबंधित संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) को शामिल माना गया था.
इस मामले के क़रीब सत्रह साल बाद 27 अक्तूबर को ज़िला अदालत ने मामले के अड़तीस अभियुक्तों में से पंद्रह लोगों को दोषी पाया था. मंगलवार दोपहर तृतीय अपर एवं ज़िला सत्र न्यायधीश रणजीत कुमार सिंह ने दोषी पाए गए पंद्रह में से तेरह लोगों की सज़ा मुकर्रर की. लोक अभियोजक सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया, ''जिन पंद्रह लोगों को अदालत ने दोषी पाया है, उनमें से दो अब तक फ़रार हैं. ऐसे में उनकी गिरफ़्तारी के बाद ही अदालत उनकी सज़ा सुनाएगी.''
सुरेंद्र प्रसाद सिंह के मुताबिक़ अदालत ने इस नरंसहार को 'रेयर ऑफ़ द रेयरेस्ट' मामला माना है. सेनारी नरसंहार से ही जुड़े एक अन्य मामले में जहानाबाद व्यवहार न्यायालय ने दुखन कहार को भी 10 नवंबर को दोषी क़रार दिया है. वे इस मामले के एक मात्र अभियुक्त हैं. अदालत इस मामले में शुक्रवार 18 नवंबर को सज़ा पर सुनवाई करेगी.