भारत में हर साल सर्दियों में कुत्तों के शौकीन और कुत्तों की ब्रीडिंग को पेशे के रूप में अपनाने वाले लोग देश भर में होने वाले डॉग शो में भाग लेते हैं. देश में इस तरह की प्रदर्शनियों की पुरानी और समृद्ध परंपरा रही है. भारत में पहला डॉग शो 1896 में अंग्रेज़ों ने आयोजित किया था. आजकल केनेल क्लब ऑफ इंडिया ही देश भर में इस तरह के शो का आयोजन करता है. साधारण लोग इसे कुत्तों की सौंदर्य प्रतियोगिता समझ सकते हैं. लेकिन डॉग शो से जुड़े लोग इसे काफ़ी गंभीरता से लेते हैं. वे विदेशों से बेहतरीन नस्ल के कुत्ते मंगवाते हैं, उनकी परवरिश के लिए काफ़ी पैसे खर्च कर विदेशी प्रशिक्षक को नौकरी पर रखते हैं और हवाई यात्रा पर पैसे खर्च कर कोने-कोने में होने वाले शो में भाग लेते हैं. इनमें से ज़्यादातर लोग इसे पेशे के रूप में अपनाते हैं और पैसे कमाने की उम्मीद भी करते हैं. दिल्ली में रहने वाले फ़ोटोग्राफ़र करण वैद के माता-पिता कई बार डॉग शो में जज की भूमिका में होते हैं. करण ख़ुद डॉग शो में मौजूद रहते हैं और उसकी तस्वीरें उतारते हैं.
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