नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को BCCI के अध्यक्ष पद से हटा दिया है । उनके साथ बोर्ड के सचिव अजय शिर्के को भी पद से हटाया गया है। अनुराग पर कोर्ट में झूठा हलफनामा दायर करने का आरोप है। बीसीसीआई लोढ़ा पैनल की कुछ सिफारिशें लागू करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि अगर यह आरोप साबित हुआ तो उनके पास जेल जाने के सिवाय दूसरा रास्ता नहीं बचेगा।
अनुराग पर झूठा हलफनामा पेश करने का आरोप था। 15 दिसंबर को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमणियम की दलीलें सुनने के बाद पहली नजर में अनुराग को इसका दोषी पाया था। कोर्ट ने एमिकस क्यूरी से पूछा था कि अनुराग ने इस मामले में झूठ बोला है या नहीं। सुब्रमणियम ने अपने जवाब में कहा था कि बीसीसीआई प्रेसिडेंट ने झूठ बोला है।
अनुराग पर पहले आरोप लगा था कि उन्होंने आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर को एक लेटर लिखने के लिए कहा था, जिसमें यह कहा जाए कि बीसीसीआई में CAG अप्वॉइंट करना सरकारी दखल की तरह है। पिछले दिनों आईसीसी सीईओ डेव रिचर्डसन ने मीडिया से बातचीत में अनुराग पर यह आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने ठाकुर से इस पर हलफनामा पेश कर अपना पक्ष रखने को कहा था।
हलफनामे में अनुराग ने इन आरोपों से इनकार किया था। उनका कहना था कि उन्होंने आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर से सिर्फ यह कहा था कि इस मामले पर उनका स्टैंड क्या होता अगर वे (मनोहर) बीसीसीआई प्रेसिडेंट होते। कोर्ट ने कहा था- जेल जाने के सिवाय दूसरा रास्ता नहीं बचेगा। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा, "अभिव्यक्ति की आजादी आपको कोर्ट के फैसले से असहमत होने का अधिकार देती है, उसको लागू होने से रोकने का अधिकार आपके पास नहीं है। एक बार हमने (झूठी गवाही के मामले में) फैसला सुना दिया तो आपके पास जेल जाने के सिवाय दूसरा रास्ता नहीं बचेगा।'×
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर मंगलवार को रिटायर हो रहे हैं। पिछली सुनवाई में जस्टिस ठाकुर ने बीसीसीआई प्रेसिडेंट अनुराग ठाकुर से कहा था कि कोर्ट उनके खिलाफ बगैर नोटिस दिए आगे की कार्रवाई कर सकता है।
अनुराग पर जस्टिस लोढ़ा कमेटी के कामकाज पर अड़ंगे डालने का भी आरोप लगता रहा है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बोर्ड मे कई सुधार की सिफारिश की थी जिसे लागू करने को लेकर होर्ड आनाकानी करता रहा है।