देश मै मन्दिर और मजिद को लेकर बडी ही चर्चा गरम रहती है सभी तरफ अपना पहलु रख रहै परंतु पिछले दिनो राजस्थान का अलवर जिला एक ऎसी जगह है नाम है मोती डूगरी पहाडी वहा पर स्थित सैय्यद दरबार और संकट मोचन वीर हनुमान मंदिर एक साथ है जहा पर दोनों धर्मों के लोग एक ही छत के नीचे नमाज और पूजा करते हैं। पिछले दिनो अलवर जिला हाल ही में कथित गौरक्षकों के हमले में मारे गए पहलू खान की वजह से काफी चर्चा में रहा है। पहाड़ी पर दोनों धर्मों के लोग आते हैं। मंदिर और दरगाह के बीच किसी तरह की दीवार नहीं है। यहां गुरुवार को जैसे ही भजन खत्म होते हैं उसी माइक और लाउड स्पीकर पर हारमोनियम और ढोलक के साथ कव्वाली होती है। वहां भगवा और हरा झंडा एक साथ लगाया गया है। साथ ही 30 मीटर का तिरंगा झंडा भी पहाड़ी पर लगा है। यहां ना हिन्दू को परेशानी ना मुस्लिम को
पहाड़ी पर आने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि मंदिर से महाआरती के दौरान आने वाली कपूर और घी की खुशबू के साथ जब दरगाह से आने वाली लोभान की महक मिलती है तो उससे ज्यादा सुख देने वाला कुछ नहीं लगता। वहां आने वाले श्रद्धालु आमतौर पर पहले मंदिर में दर्शन करते हैं और पूजा-पाठ के बाद दरगाह पर माथा टेककर जाते हैं।
मंदिर और मस्जिद की देखभाल करने वाले 51 वर्षीय महंत नवल बाबा ने लोगों की हैरानी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा 'दोनों जगहों का मकसद एक ही है, दोनों एक ही रास्ता दिखाते हैं, इसमें हैरानी जताने की क्या जरूरत है?'
यहा आने वाले भक्त दोनो ही जगह अपना सर झुकाते है किसी को की घंटी से और न अजान के स्पिकर से कोई आपत्ति नही होती है जो मन्दिर मै आता है वहा दरगाह पर जाता है
साभार; वन इडिया