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मध्यप्रदेश

किसान खेती को लाभ का धंधा बनाने में काफी हद तक सफल हुए

भोपाल : मंगलवार, मध्यप्रदेश के किसान राज्य सरकार की मदद से खेती को लाभ का धंधा बनाने में काफी हद तक सफल हो गये हैं। अब किसानों ने खेती के मुनाफे को बढ़ाने की दिशा में प्रयास करना शुरू कर दिया है। इसके लिये रोज नई-नई तकनीक इस्तेमाल कर रहे हैं।

उज्जैन अंचल में गेहूँ की कटाई और गहाई हो चुकी है। इस क्षेत्र में गेहूँ की कटाई हारवेस्टर से की जाती है और खेतों में नरवाई बची रहती है। किसान खेत की जुताई करने के पूर्व इनमें आग लगा देते हैं। इस कारण जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है और लाभकारी जीवाणु भी आग के साथ जल जाते हैं। इस नुकसान को रोकने के लिये कृषि विभाग की ओर से किसानों को नरवाई नहीं जलाने की सलाह दी जाती है।

महिदपुर तहसील के ग्राम तरनोद के किसान घनश्याम राठौर ने कृषि विभाग की सलाह पर पिछले वर्ष नरवाई न जलाते हुए गहरी जुताई कर इसका निपटान किया। इसका फायदा उन्हें खरीफ की फसल में देखने को मिला है। घनश्याम ने पहले पूरे खेत में भारी पाट लगाया, जिससे डण्ठल टूटकर गिर गये, इसके बाद उन्होंने गहरी जुताई की। उनके खेत में नरवाई पूरी तरह से जमीन के अन्दर समा गई। उनकी मेहनत का फल उन्हें सोयाबीन की फसल में भी देखने को मिला। घनश्याम के खेत में अच्छी गुणवत्ता का सोयाबीन हुआ है। अब वे आस-पास के किसानों को नरवाई न जलाने की सलाह देते हैं। वे अपने खेत में सीडड्रिल, रोटावेटर, थ्रेशर आदि का भी उपयोग करते हैं।

खरगौन जिले में मोठापुरा के किसान पंढरी सीताराम के पास 2 एकड़ जमीन है। वे अपनी जमीन पर बेहतर उत्पादन के लिये नई-नई तकनीक अपना रहे हैं। इससे उनकी आमदनी में लगातार वृद्धि हो रही है। उन्हें अमरूद के बगीचे के लिये कृषि विभाग की योजना में बलराम तालाब मंजूर हुआ था। आज उनके खेत में 270 अमरूद के पौधे हैं। वे अपने खेत में जैविक खेती भी कर रहे हैं। सीताराम अंतरवर्ती फसलें भी ले रहे हैं। इन्हें केवल अमरूद की खेती से ही अब तक 6 लाख 50 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी हुई है। किसान सीताराम बगीचे में खराब अमरूद से होमियोक एसिड बनाते हैं। इसका उपयोग कीटनाशक के रूप में करते हैं। उनके खेत में फसलों की विविधता को देखने क्षेत्र के आस-पास के किसान भी पहुँचते हैं।

सीहोर जिले में नसरूल्लागंज क्षेत्र के किसान रिती कुमार के खेत में पानी बड़ी मात्रा में बेकार बह जाता था। इसकी चर्चा उन्होंने जब मैदानी कृषि अधिकारियों से की तो उन्हें सिंचाई के लिये दलहल योजना में स्प्रिंकलर सेट खरीदने की सलाह दी गई। उन्हें स्प्रिंकलर सेट खरीदने पर 12 हजार रुपये का अनुदान भी मिला है। किसान रिती कुमार बताते हैं कि स्प्रिंकलर से वे अब अपने पूरे खेत में कम पानी में अच्छी सिंचाई कर पा रहे हैं। इससे उनका कृषि उत्पादन भी बढ़ा है।


फाइल फोटो

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