Hindi News Portal
धर्म

जाने क्यों करते है गणपति की स्थापना और कैसे मिलता है, गणपति की उपासना से शुभ फल

हम सभी हर साल गणपती की स्थापना करते हैं, साधारण भाषा में गणपति को बैठाते हैं। लेकिन क्यों ? किसी को मालूम है क्या ? हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है। लेकिन लिखना उनके वश का नहीं था। अतः उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और गणपति जी से महाभारत लिखने की प्रार्थना की। गणपती जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी, लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था।

अतः गणपती जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा। महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला। अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ।

वेदव्यास ने देखा कि, गणपती का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है, तो वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया। इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए। तभी से गणपती बैठाने की प्रथा चल पड़ी। इन दस दिनों में इसीलिए गणेश जी को पसंद विभिन्न भोजन अर्पित किए जाते है


गणपति उपासना का शुभ फल कैसे प्राप्त होता है

आज श्री गणपति चतुर्थी है, लगभग सभी सनातन धर्मी , त्योहार मानते है ,साथ ही गणपति जी की पूजा अर्चना करते है, कोई डेढ़ दिन कोई 5 कोई 9 दिन के लिए गणपति जी को आदरपूर्वक घर पधराते हैं। काफी जोरशोर के साथ उत्सव, पकवान , नाज गाना, ढोलढप , अतिथि सत्कार के साथ, बधाइयों और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
शास्त्रों के अनुसार , जिस देव की हम उपासना करें , उनके तुल्य होना होता है , तभी वह अपने ऊपर कृपा करते है।
देव तुल्य होनेके लिए ही विनियोग के साथ ऋषि, छन्द, कीलक, हृदयन्यास , मंत्र न्यास , ध्यान किया जाता है , जिससे हम देव तुल्य अपने शरीर को बना सके। साथ ही सबसे महत्व पूर्ण हमको ये ध्यान रखना चाहिए, कि केवल इतने प्रयोजन से काम नही होना है, अर्थात हमें देवता के प्रिय कार्य, प्रिय वस्तु, प्रिय क्रिया, प्रिय आचरण, प्रिय भोग लड्डू , सिंदूर ,दूर्वा लाजा इत्यादि का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। जैसा सर्व विदित है।
यह सब विचार करते हुए , मन में सोच रहता है , अमुख प्रतिशत लोग अपने आप को धोखा और अपने समय और पैसे को बरबाद करते है।
श्री गणेश जी प्रथम पूज्य, आखिर क्यों हुए ?
उन्हें हम इतनी महत्ता क्यो दे रहे है ?
केवल और केवल पहला कारण एक ही है , वह है माता-पिता को सम्पूर्ण ब्रह्मांड के ऊपर मानना।

आजकल गम्मत की बात ये है , कि माता-पिता को दरकिनार करके, उनके लिए उदासीन या उन्हें सम्मान न देना, या उलटा उन्हें अपमानित करना, या सम्बन्ध विच्छेद रखना, या उन्हें धोखा देना, या उनसे झूठ व्यवहार करना इत्यादि। क्या उपरोक्क्त व्यवहार माता-पिता से चलते , या किये हुए, श्री गणपति प्रसन्न होंगे ? बहुत बड़ा प्रश्न है ?? जो कि मेरी समझ के आज तक बाहर है,
क्या इस व्यहार से हम या तो अपने आप को ग़ुमराह करते है या निश्चित ही श्री गणेशजी को ? या दोनों को शायद इसी लिए गणपति जी की कृपा नही मिलती, उल्टा उन्हें हम बुला कर अपनी कमी पर ध्यान दिला देते है , और परिणाम उल्टा होता दिखता है , पूजा के अनुकूल संकल्प के अनुकूल फल प्राप्त न हो तो दोष गणपति और आचार्य जी को देते है।

गणपति जी प्रसन्नता के लिए , सबसे पहले अपने माता-पिता की सेवा अधिक उनसे कम श्री गणपति जी की करो तो भी चले, फिर उनकी प्रसन्नता का फल देखिये । निश्चित ही अद्वतीय होगा।
जो मातापिता की सेवा न कर सकें , या न कर रहे हों , उन्हें गणपति जैसे देवता से दूर रहना चाहिए, मंत्र, स्तोत्र, आरती, कुछ भी सकारात्मक फल नही देंगे।

 

 

03 September, 2019

खजराना गणेश मंदिर की दान पेटी से पौने दो करोड़ निकले विदेशी करेंसी, सोने-चांदी के जेवरात भी मिले, सिक्कों की गिनती जारी…
भगवान को लिखी जाने वाली चिट्ठियां भी बड़ी मात्रा में प्राप्त हुई है
आज आपका दिन कैसा रहेगा राशिफल के अनुसार ,जाने
आज फाल्गुन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि और शनिवार का दिन 14-03-24 तारीख है।
आज आपका दिन कैसा रहेगा राशिफल के अनुसार ,जाने
आज फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और बुधवार का दिन 13-03-24 तारीख है।
आज आपका दिन कैसा रहेगा राशिफल के अनुसार ,जाने
आज माघ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि और शनिवार का दिन 24-02-24 तारीख है।
विकसित भारत की दिशा में निर्विघ्न बढ़ने में अश्वमेध महायज्ञ एक प्रमुख कारक बनेगा : नड्डा
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और भगवती देवी ने लाखों परिवारों को गायत्री परिवार से जोड़ा।