मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (Encforcement Directorate) की जांच में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के सबसे करीबी इकबाल मिर्ची की सैकड़ों करोड़ की प्रॉपर्टी का खुलासा हुआ है. ईडी की जांच में एक बड़ा नेक्सस भी सामने आया है. खबर है कि इकबाल मिर्ची और उसके परिवार से जुड़ी कई प्रोपर्टी मुम्बई और आस पास के इलाकों में मौजूद है. इनमे से एक प्रॉपर्टी तो ऐसी भी है जिसका संबंध एनसीपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल से है.
यहां बात वर्ली में मौजूद सीजेस हाउस की हो रही है.ये प्रॉपर्टी प्रफुल्ल पटेल की है लेकिन ईडी से जुड़े जो दस्तावेज सामने आए है उनके मुताबिक 15 स्टोरी इस बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन अंडरवर्ल्ड डॉन इक़बाल मिर्ची और मैसर्स मिलेनियम डेवलेपर्स ने साल 2006-07 में किया था.
इसके बन जाने के बाद साल 2007 में मेसर्स मिलेनियम डेवलपर्स ने इस बिल्डिंग के तीसरे और चौथे फ्लोर को इक़बाल मिर्ची को ट्रांसफर कर दिया था जिसका क्षेत्रफल करीब 14000 स्क्वैयर फीट है.
बता दें कि इकबाल मिर्ची दाऊद का सबसे करीबी माना जाता था और साल 2013 में लंदन में उसकी मौत हार्ट अटैक से हो गई थी.
मुंबई में है इकबाल मिर्ची की संपत्ति
खंडाला 6 एकड़ का फार्म हाउस है जो मैसर्स व्हाइटवाटर लिमिटेड के नाम से है लेकिन इसका कब्जा इक़बाल मिर्ची के बेटों के पास है. मुम्बई के वर्ली इलाके में मौजूद साहिल बंगलो, ये इकबाल की पत्नी और बेटे के नाम किया गया है. वर्ली में मौजूद समंदर महल 'A' नाम की प्रॉपर्टी इक़बाल की बहन और जीजा जी के नाम पर है. भायखला में मौजूद न्यू रोशन टॉकीज, क्राफड मार्किट में 3 शॉप्स, पंचगनी में बंगलो, जुहू तारा रॉड पर मिनाज होटल इन सब की कीमत 500 करोड़ के पार बताई जा रही है.
इसके अलावा लंदन में कई कीमती प्रॉपर्टीज बताई गई है. साल 1983 में मिर्ची परिवार समेत भाग गया था और यूएई में रहने लगा इसके बाद इसने ज्यादा प्रोपर्टी लंदन और यूएई में बनाई. क्योंकि ये सारी प्रॉपर्टीज बेनामी नामों के साथ खरीदी और बेची गयी है,इसीलिए इन्हें NDPS/SAFEMA (Smugglers and Foreign Exchange Manipulators Act. 1976) के तहत अभी तक अटैच नही किया जा सका है.
प्रफुल्ल पटेल का नाम आने पर एनसीपी की सफाई
इस बारे में अब एनसीपी पार्टी का आधिकारिक बयान भी आ चुका है. 'जिस जमीन पर सीजे हाउस बना है पटेल परिवार ने वह संपत्ति वर्ष 1963 में ग्वालियर के महाराजा से 1963 में खरीदी थी. यह संपत्ति 1978 से 2005 तक सह-मालिकों के बीच विवाद के कारण कोर्ट रिसीवर में थी. इस अवधि के दौरान तत्कालीन भवन के पीछे परिसर में एक अवैध कब्जा था. तीसरी मंजिल पर उच्च न्यायालय के एक आदेश द्वारा उन्हें स्थानांतरित कर दिया गया था, जब इमारत को फिर से बनाया गया था. समाचार रिपोर्ट में उल्लेखित किसी भी व्यक्ति के पास सीजे हाउस का स्वामित्व नहीं है. सभी दस्तावेज और कोर्ट आदेश रिकॉर्ड पर उपलब्ध हैं.'
सौजन्य : ज़ी न्यूज