यही नहीं, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक कदम और बढ़ाते हुए पदक जीतकर लौटने पर समूह 'ख' की नौकरी देने की भी घोषणा की। देर से ही सही, शायद इस घोषणा से सरकार ने संदेश देने की कोशिश की कि उसे खिलाडिय़ों की भी फिक्र है।ब्राजील के रियो शहर में शुरू होने जा रहे खेलों के महाकुंभ ओलिंपिक में पहली बार उत्तराखंड से चार खिलाड़ी मनीष रावत, गुरमीत सिंह, नितेंद्र सिंह रावत व वंदना कटारिया देश का प्रतिनिधित्व करते नजर आएंगे। वहीं प्रशिक्षक के रूप में सुरेंद्र सिंह भंडारी भी ओलिंपिक में अपने शिष्यों का उत्साहवर्द्धन करेंगे।जाहिर सी बात है कि उत्तराखंड के खेलप्रेमी अपने होनहारों को पदक जीतते देखना चाहेंगे। हो भी क्यों न, सभी ने तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हालांकि, उनके मन में इस बात की कसक रही कि अपने ही प्रदेश में मदद तो दूर, उन्हें शुभकामनांए तक नहीं मिली। रियो ओलिंपिक में शामिल होने वाले राज्य के खिलाड़ियों गुरमीत सिंह, मनीष रावत, नितेंद्र सिंह रावत व वंदना कटारिया और प्रशिक्षक सुरेंद्र सिंह भंडारी को शुभकामनाएं प्रेषित कीं।साथ ही उम्मीद जताई कि वे ओलिंपिक में पदक जीतकर देश-प्रदेश का मान बढ़ाएंगे। उन्होंने खेल नीति के अनुरूप सभी खिलाड़ियों को पांच-पांच लाख रुपए की धनराशि शीघ्र देने के निर्देश दिए। खेल मंत्री दिनेश अग्रवाल ने खिलाडिय़ों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए शुभकामनाएं दी।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने निर्देश दिए हैं कि ओलिंपिक में पदक जीतकर लाने वाले खिलाडिय़ों को लौटने पर समूह 'ख' में नौकरी देने की कार्रवाई शुरू की जाए। जो खिलाड़ी राज्य सरकार में सेवारत हैं, उन्हें आउट ऑफ टर्म पदोन्नति दी जाए।उप निदेशक खेल अजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि रियो ओलिंपिक में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को शीघ्र धनराशि देने की व्यवस्था की जा रही है। खेल नीति के तहत स्वर्ण पदक जीतने पर 1.50 करोड़, रजत पदक पर एक करोड़ और कांस्य पदक जीतने पर 50 लाख रुपए की धनराशि खिलाड़ियों को प्रदान की जाएगी।