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यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों को सुप्रीम राहत, केंद्र सरकार को सुझाव

नई दिल्ली ,16 सितंबर यूक्रेन और रुस के बीच पिछले कई महीनों से युद्ध जारी है। दोनों देशों के बीच फरवरी महीने से ही कुछ भी ठीक नहीं है। यूक्रेन में मेडकिल की पढ़ाई करने गए दूसरे देशों के छात्र बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर अपने वतन लौटे। छात्रों को अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़कर अपने देश वापस लौटना पड़ा। भारत के भी हजारों छात्रों के सामने बेहतर भविष्य का संकट खड़ा हो गया। यूक्रेन में अपनी अधूरी पढ़ाई छोड़कए आए मेडिकल के छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो शुक्रवार को सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र सरकार को एक वेब पोर्टल बनाने का सुझाव दिया है। इस पोर्टल के जरिए यूक्रेन से भारत लौट मेडिकल के छात्रों को दूसरे देशों में दाखिला यानी एडमिशन कराने में आसानी हो सके।
जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने केंद्र सरकार की तरफ से अपना पक्ष रख रहे जनरल तुषार मेहता से कहा कि, सरकार को उन भारतीय छात्रों की मदद करनी चाहिए जिससे छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए दूसरे देशों में आसानी से एडमिशन मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एक वेब पोर्टल शुरू करें, जिसमें विदेशों में मौजूद विश्वविद्यालय की खाली सीटों, फीस जैसी जानकारी दी जाए और ये भी सुनिश्चित करें कि इसमें एजेंटों का कोई रोल न हो। आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, सरकार को अपने संसाधनों का इस्तेमाल यूक्रेन से अपनी पढ़ाई को छोड़कर भारत लौटे छात्रों की मदद के लिए करना चाहिए।
सरकार की तरफ से अपना पक्ष रख रहे जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, वो छात्रों के प्रतिकूल रुख नहीं अपना रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के सुझावों पर सरकार से बात करेंगे। जिसके लिए जनरल तुषार मेहता ने समय मांगा है।
इसके अलावा जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में बताया कि, केंद्र ने छात्रों की मदद के लिए कई उपाय किए हैं, उनके लिए अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के लिए अनुमति दी गई है और यह भी तय किया गया कि वे अपनी डिग्री यूक्रेन से प्राप्त करेंगे, साथ ही अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम भी किया गया। यहां पहले अपको ये बता दें कि, अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम क्या है। जिन भारतीय एमबीबीएस छात्रों को वापस आना पड़ा था, वे अब अस्थायी रूप से कुछ अन्य विदेशी विश्वविद्यालयों में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं, संभवत यूरोप में, लेकिन वे मूल यूक्रेनी विश्वविद्यालय के छात्र बने रहेंगे।
सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि, सरकार को भारतीय कॉलेजों में 20,000 छात्रों को प्रवेश देने में समस्या है और छात्रों को वैकल्पिक अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम का लाभ उठाने के लिए विदेशों में जाना होगा, और केंद्र को समन्वय करना चाहिए, सभी आवश्यक मदद करनी चाहिए।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग यानी एनएमसी अधिनियम, 2019 के तहत प्रावधान के अभाव में मेडिकल छात्रों को भारतीय विश्वविद्यालयों में एडमिशन नहीं किया जा सकता है और अगर इस तरह की कोई छूट दी जाती है तो यह देश में मेडिकल की शिक्षा के मानकों को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।
वहीं एक हलफनामे में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के केंद्रीय मंत्रालय ने कहा, इन रिटर्न छात्रों को भारत में मेडिकल कॉलेजों में ट्रांसफर यानी दाखिला करने की अपील न केवल भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956, और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के नियमों का उल्लंघन करेगी। साथ ही इसके तहत बनाए गए नियम, देश में स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा के नियमों को भी गंभीर रूप से बाधित करे

16 September, 2022

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