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09 May, 2025
विदेश

अमेरिका से डिपोर्ट हुए लोगों ने बताई -1डंकी रूट की दास्तां, कई लोगों की देखी लाशें, 1 करोड़ खर्च किया

नई दिल्ली ,06 फरवरी । अमेरिका ने 104 भारतीयों को वतन वापिस भेज दिया है। डिपोर्ट होकर भारत पहुंचे लोगों ने कई खुलासे किए है। जसपाल सिंह ने दावा किया कि पूरी यात्रा के दौरान उन्हें हथकड़ी और पैरों में बेडिय़ां बांधी गईं और अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही उन्हें हटाया गया। गुरदासपुर जिले के हरदोरवाल गांव के रहने वाले 36 वर्षीय सिंह ने बताया कि 24 जनवरी को अमेरिकी सीमा पार करने के बाद उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया था। विभिन्न राज्यों से 104 अवैध प्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को यहां उतरा। अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा वापस भेजा गया यह भारतीयों का पहला जत्था है। गृह नगर पहुंचने के बाद जसपाल ने बताया कि एक ट्रैवल एजेंट ने उनके साथ धोखाधड़ी की है, क्योंकि उनसे वादा किया गया था कि उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजा जाएगा। जसपाल ने कहा, मैंने एजेंट से कहा था कि वह मुझे उचित वीजा (अमेरिका के लिए) के साथ भेजे। लेकिन उसने मुझे धोखा दिया। उन्होंने बताया कि सौदा 30 लाख रुपए में हुआ था। जसपाल ने दावा किया कि वह पिछले साल जुलाई में हवाई जहाज से ब्राजील पहुंचा था। उसने कहा कि वादा किया गया था कि अमेरिका की अगली यात्रा भी हवाई जहाज से ही होगी। हालांकि उसके एजेंट ने उसे धोखा दिया, जिसने उसे अवैध रूप से सीमा पार करने के लिए मजबूर किया। ब्राजील में छह महीने रहने के बाद वह सीमा पार कर अमेरिका चला गया, लेकिन अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने उसे गिरफ्तार कर लिया। जसपाल ने बताया कि उसे वहां 11 दिनों तक हिरासत में रखा गया और फिर वापस घर भेज दिया गया। जसपाल ने कहा कि उसे नहीं पता था कि भारत भेजा जा रहा है। वहीं, होशियारपुर के टाहली गांव के रहने वाले हरविंदर सिंह ने बताया कि वह पिछले साल अगस्त में अमेरिका के लिए रवाना हुए थे। उन्हें कतर, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और फिर मैक्सिको ले जाया गया। उन्होंने बताया कि मैक्सिको से उन्हें अन्य लोगों के साथ अमेरिका ले जाया गया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, हमने पहाडिय़ां पार कीं। एक नाव, जो उन्हें अन्य व्यक्तियों के साथ ले जा रही थी, समुद्र में डूबने वाली थी, लेकिन हम बच गए। सिंह ने कहा कि उन्होंने एक व्यक्ति को पनामा के जंगल में मरते हुए तथा एक को समुद्र में डूबते हुए देखा। सिंह ने बताया कि उनके ट्रैवल एजेंट ने वादा किया था कि उन्हें पहले यूरोप और फिर मैक्सिको ले जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका की अपनी यात्रा के लिए उन्होंने 42 लाख रुपए खर्च किए। उन्होंने कहा, कभी-कभी हमें चावल मिल जाता था। कभी-कभी हमें खाने को कुछ नहीं मिलता था। हमें बिस्कुट मिलते थे। एक अन्य व्यक्ति ने अमेरिका जाने के लिए इस्तेमाल किए गए 'डंकी रूटÓ के बारे में बताया। उन्होंने कहा, रास्ते में हमारे 30,000-35,000 रुपये के कपड़े चोरी हो गए। निर्वासित व्यक्ति ने बताया कि उसे पहले इटली और फिर लैटिन अमेरिका ले जाया गया। उन्होंने बताया कि नाव से 15 घंटे लंबी यात्रा करनी पड़ी और 40-45 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। उन्होंने कहा, हमने 17-18 पहाडिय़ां पार कीं। अगर कोई फिसल जाता तो उसके बचने की कोई संभावना नहीं होतीज् हमने बहुत कुछ देखा है। अगर कोई घायल हो जाता तो उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता था। हमने कई लाशें देखीं। उन्होंने बताया कि हमें हमेशा डर लगा रहता था कि वह जिंदा बचेगे या नहीं। एक गुजराती परिवार का दावा है कि उसने अमेरिका पहुंचने के लिए 1 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।वहीं इस संबंध में एक अन्य अधिकारी ने कहा, अमृतसर के एक सीमावर्ती गांव के एक युवक के चाचा ने कहा कि परिवार ने अपने भतीजे को विदेश भेजने के लिए डेढ़ एकड़ जमीन बेच दी और 42 लाख रुपये से कुछ अधिक खर्च किए। उन्होंने कहा, 'वह कुछ महीने पहले ही मेक्सिको के रास्ते अमेरिका पहुंचा था।

06 February, 2025

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