भोपाल ; एम्स भोपाल ने कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में एक महत्वपूर्ण चिकित्सकीय उपलब्धि हासिल करते हुए जन्मजात डायाफ्रामिक हर्निया (Congenital Diaphragmatic Hernia CDH) नामक गंभीर जन्मजात विकृति से पीड़ित एक कम वज़न वाले नवजात शिशु की सफलतापूर्वक सर्जरी कर उसे नया जीवन प्रदान किया गया है। यह मामला जन्म से पूर्व ही, गर्भावस्था के सातवें माह में, जटिल स्थिति के रूप में चिन्हित हो गया था। विशेषज्ञों की सलाह के पश्चात परिजनों ने एम्स भोपाल के लेबर रूम में प्रसव कराने का निर्णय लिया, जहाँ शिशु का सुरक्षित जन्म हुआ। जन्म के समय उसका वज़न केवल 2.2 किलोग्राम था, और जन्मजात विकृति के कारण उसे सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई हो रही थी। शिशु को तुरंत वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया और लगभग तीन सप्ताह तक उसकी गहन निगरानी की गई। इसके उपरांत, एम्स भोपाल की बाल शल्य चिकित्सा टीम द्वारा अत्यंत जटिल ऑपरेशन सफलता पूर्वक संपन्न किया गया। सभी चिकित्सकीय चुनौतियों को पार करते हुए शिशु ने स्वस्थ रूप से रिकवरी की है और अब उसका वज़न बढ़कर लगभग 2.9 किलोग्राम हो गया है। परिजनों ने एम्स भोपाल में नवजात शिशुओं के लिए की जा रही जटिल शल्य चिकित्सा सेवाओं की सराहना करते हुए, निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण इलाज के लिए संस्थान का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा "यह उदाहरण दर्शाता है कि एम्स भोपाल में अत्याधुनिक नवजात चिकित्सा और शल्य चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो जटिल जन्मजात स्थितियों में भी जीवन रक्षक सिद्ध हो रही हैं। हमें गर्व है कि हम मध्यप्रदेश एवं आसपास के क्षेत्रों में उन्नत बाल स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं।"