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09 May, 2025
अपराध

फेसबुक पर दोस्ती, कर युवती से लाचारी बताकर 30 लाख रु. ठगे,

भोपाल . फेसबुक पर फर्जी डॉक्टर का प्रोफाइल बनाकर NGO चला रहे एक इंजीनियर ने तीन साल में दिल्ली की एक लॉ स्टूडेंट से 30 लाख रुपए ऐंठ लिए। इंजीनियर ने फेसबुक पर दोस्ती की और खुद को एम्स का डॉक्टर बताया था। कभी लंदन के अस्पताल में भर्ती अपने पिता के इलाज के नाम पर तो कभी छोटी बहन के इलाज के नाम पर उसने 80 बार में 30 लाख रुपए की रकम वसूली। चार महीने पहले छात्रा को इस जालसाज का सच पता चल गया। योजना के तहत उसने भोपाल क्राइम ब्रांच की मदद से छात्रा ने आरोपी को दबोच लिया।
जून 2012 में फेसबुक पर मेरी पहचान अजय गालर से हुई थी। वह खुद को एम्स का डॉक्टर बताता था। कुछ दिनों की चैटिंग के बाद बातचीत बंद हो गई। 2017 में दोबारा बातचीत शुरू हुई। उसने बताया कि उसके पिता को ट्यूमर है और उनका इलाज लंदन में चल रहा है। और उसके बाद उसने कहा की उसकी छोटी बहन का भी हाथ फ्रेक्चर हो गया है, उसका भी इलाज करवा रहा हूं। खर्च ज्यादा होने का हवाला देकर अजय ने मुझसे रकम मांगनी शुरू की। बीते 3 साल में उसने 80 से ज्यादा बार में मुझसे 30 लाख रुपए ऐंठ लिए। उसने अपनी एफबी प्रोफाइल में जो तस्वीरें अपलोड की थीं, मैंने उसे सर्च करना शुरू किया। एफबी पर ही मुझे एक युवती की प्रोफाइल नजर आई, जिसके जरिए मैं उस असल व्यक्ति की प्रोफाइल तक पहुंच गई।

इसी व्यक्ति की तस्वीरों को अजय ने अपनी बताकर प्रोफाइल में अपलोड किया था। इसमें उस व्यक्ति की शादी की तस्वीरें अपलोड थीं। तस्वीरों में भोपाल के उस होटल का नाम नजर आ गया, जहां से शादी हुई थी।
मैंने उस होटल पर पहुंचकर पता लगाया तो खुलासा हुआ कि वो तस्वीरें अजय की नहीं बल्कि उसके एक रिश्तेदार की हैं। मैं उस व्यक्ति से मिली तो पता चला कि अजय उसका दूर का रिश्तेदार है और ग्राम चांदौन, इटारसी में रहता है।
उसे रंगेहाथों पकड़वाना था... छात्रा ने बताया कि मैंने अपने उद्योगपति पिता और सर संजय कुमार को अजय के घर भेजा। उसके पिता से दोनों पहचान छिपाकर मिले। पता चला कि अजय आरकेडीएफ कॉलेज से पास हुआ इंजीनियर है। वह कच्चे घर में रहता है। अभी अजय श्रीहरि वेलफेयर सोसायटी (एनजीओ) संचालित करता है। अब वह पिता के इलाज के नाम पर मुझसे 2.20 लाख और मांग रहा था। मैंने उसे डीबी सिटी मॉल बुलाया। उससे मिलने से पहले मैंने क्राइम ब्रांच की मदद ली। वह जैसे ही मॉल में पहुंचा, क्राइम ब्रांच ने उसे धरदबोचा।
बदल लेता था आवाज... छात्रा के पिता ने बताया कि हम तो दोनों की शादी कर रहे थे। इसके लिए मैंने अजय से फोन पर बात की तो उसने अपने पिता से बात कराने की बात कही। बात भी करवाई। बाद में पता चला कि उसने अपने फोन में वॉयस चेंजर एप्लीकेशन डाउनलोड की थी। वह पकड़ा न जाए, इसलिए वह मेरी बेटी को कभी वीडियो कॉल नहीं करता था।
टीआई अजय मिश्रा ने बताया कि छात्रा की शिकायत पर अजय के खिलाफ धोखाधड़ी, पहचान छिपाने और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। आरोपी को जब पुलिस ने पकड़ा तो वह बोला कि ये तो आपसी लेनदेन (सिविल) का मैटर है, आप तो मेरे खिलाफ कुछ कर ही नहीं सकते। फिर कहने लगा कि छात्रा ने मेरे एनजीओ में ये रकम दान की है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है

 

 

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